नई दिल्ली: सनातन धर्म में मां गंगा (Maa Ganga) का बहुत महत्‍व है. हर तीज-त्‍यौहार पर गंगा स्‍नान करने और पूजन-पाठ, शुभ कार्य में गंगाजल का उपयोग करने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है. पापों को धोने वाली जीवनदायिनी मां गंगा का ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन धरती पर अवतरण हुआ था. इस पर्व को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2021) कहा जाता है. देश के जिन राज्यों में गंगा नदी बहती है, वहां इस पर्व को बहुत धूम-धाम से मनाते हैं. इस बार यह पर्व 20 जून को है. इस मौके पर जानते हैं कि आखिर क्‍यों राजा भागीरथ ने घोर तपस्या करके मां गंगा को पृथ्वी पर बुलाया था. 


मुनि के क्रोध से भस्‍म हो गए थे 60 हजार पुत्र 


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गंगा को धरती पर लाने की एक पौराणिक कथा है. इसके मुताबिक सगर नाम के एक प्रतापी राजा थे. एक बार उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया. अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को देवताओं के राजा इंद्र ने चुरा कर कपिलमुनी के आश्रम में बांध दिया. फिर उस घोड़े की तलाश में राजा सगर के 60 हजार पुत्र निकले. उन्होंने कपिलमुनी के आश्रम में जैसे ही घोड़े को देखा, वैसे ही बिना सोचे-समझे आक्रमण कर दिया. इससे तपस्‍या में लीन कपिलमुनी की आंखें खुल गईं और क्रोध से आग बरसाती उनकी आंखों की अग्निज्वाला से राजा के सभी पुत्र जलकर भस्म हो गए. 


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हालांकि इसमें राजा सगर के एक पुत्र अंशुमन बच गए और फिर उन्‍होंने कपिलमुनी के पास जाकर अपने भाइयों की आत्मा की शांति का उपाय पूछा. मुनि ने कहा कि यदि पवित्र गंगा का जल उनके भाइयों पर पड़ेगा तो उनकी आत्मा को शांति मिल जाएगी. 


पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए लाए थे गंगा को 


बाद में उसी कुल में राजा भागीरथ (Raja Bhagirath) का जन्‍म हुआ और उन्‍होंने अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने के लिए गंगा को धरती पर लाने का बीड़ा उठाया. उन्‍होंने मां गंगा की घोर तपस्‍या शुरू की. मां ने प्रकट होकर कहा कि यदि वे सीधे धरती पर अवतरित होंगी तो इससे समस्‍त भूलोक पर तबाही मच जाएगी. तब राजा ने भगवान शंकर (Lord Shankar) की तपस्‍या करके उनसे मदद मांगी. तब महादेव ने मां गंगा से कहा कि वे उनकी जटाओं से होकर गुजरें, इससे धरती को नुकसान नहीं होगा.


इसके बाद भागीरथ मां गंगा को गंगोत्री से गंगा सागर तक लेकर गए और इस तरह राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की आत्मा को शांति मिली. तब से ही इस दिन (Ganga Dussehra 2021) को एक पावन दिन माना जाता है. इतना ही नहीं पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए पिंड दान भी गंगा में ही किया जाता है. 


(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)