Planet for Health: कुंडली में ऐसी स्थितियां बनाती हैं बीमार, मौत के कगार पर पहुंच जाता है इंसान
Planet is Responsible for Health Problems: किसी भी जन्मपत्री में छठा भाव रोग का होता है. इसके अलावा बारहवां यानी व्यय भाव भी रोग को बढ़ाने या मृत्यु तुल्य कष्ट देने में सहायक होता है. जन्मपत्री का आठवां भाव भी मृत्यु कारक माना जाता है.
Planets and Diseases in Astrology: कौन नहीं चाहता है कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ एवं प्रसन्न रहे, किंतु हर किसी के लिए ऐसा संभव नहीं है. स्वस्थ और रोगों से मुक्ति के लिए किसी भी व्यक्ति के जन्म लग्न के स्वामी का अहम रोल होता है, साथ ही कई बार कुंडली में ग्रहों की स्थितियां ही ऐसी होती हैं, जो व्यक्ति को बीमार रखती हैं या बीमारियां उसे घेरे रहती हैं.
रोग नहीं फटकता पास
यदि किसी की लग्न में बृहस्पति, शुक्र या बुध है तो उसे कभी रोग नहीं लगेंगे. यदि इनकी दृष्टि लग्न पर है तो भी आपको रोग नहीं सताएंगे. यदि लग्न स्वामी आपकी ही राशि में या फिर मित्र ग्रहों के साथ है तो यह स्थिति भी आपको रोगों से मुक्त रखेगी. यदि लग्न स्वामी ग्यारहवें भाव में है तो वह बलवान होगा और यदि उच्च राशि में है तो महा बलशाली होगा. यदि अपने मित्र की राशि में है तो भी बलवान ही होगा. यदि लग्न स्वामी अपनी ही राशि के नवांश में है तो आपके शरीर की रचना बहुत ही सुदृढ़ होगी और रोग नहीं सताएगा.
इन स्थितियों में सताते हैं रोग
किसी भी जन्मपत्री में छठा भाव रोग का होता है. इसके अलावा बारहवां यानी व्यय भाव भी रोग को बढ़ाने या मृत्यु तुल्य कष्ट देने में सहायक होता है. जन्मपत्री का आठवां भाव भी मृत्यु कारक माना जाता है. दूसरा और सातवां भाव भी जब विपरीत चल रहे हों तो रोगों को बढ़ावा देकर मृत्यु ला सकते हैं. इन भावों में यदि व्यक्ति की लग्न के स्वामी आ जाएं तो रोग पैदा होने या बढ़ने की आशंका काफी अधिक हो जाती है. इस तरह रोग की मुक्ति में लग्न के स्वामी की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रहती है.
यदि लग्न स्वामी आपकी जन्मपत्री के छठे, आठवें और बारहवें भाव में हों तो आप रोगों के दायरे में अवश्य रहेंगे. यदि लग्न स्वामी आपकी नीच राशि में हो जैसे सूर्य तुला में, चंद्र वृश्चिक में, बृहस्पति मकर में, शनि मेष और बुध मीन में या शुक्र कन्या में लग्नेश होकर बैठा है तो फिर आपको रोग अवश्य सताएगा.
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