नई दिल्ली: शास्त्रों में कुबेर को धन का देवता कहा गया है. कुबेर की पूजा स्थाई धन के लिए की जाती है. ये दिग्पाल और प्रहरी के रूप में धन और खजाने की रक्षा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुबेर को सोने की लंका कैसे मिली? साथ ही इन्हें धनाध्यक्ष क्यों कहा जाता है. चलिए जानते हैं धन के देवता कुबेर से जुड़ी खास बातें.


कुबेर को उपहार में मिली थी सोने की लंका


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महाकाव्य रामायण के मुताबिक कुबेर को उनके पिता ऋषि विश्रवा ने रहने के लिए लंका प्रदान की थी. कहते हैं कि ब्रह्माजी ने कुबेर की तपस्या से खुश होकर उन्हें उत्तर दिशा का स्वामी और धन का देवता बनाया था. इसके अलावा उन्हें पुष्पक विमान भी उपहार स्वरूप दिया गया था. एक बार पिता के कहने पर कुबेर ने सोने की लंका अपने भाई रावण को दे दी. जिसके बाद वे कैलाश पर्वत के नजदीक अलकापुरी बसाए. कहते हैं कि रावण जब विश्व विजय के लिए निकला तो उसने अलकापुरी पर भी आक्रमण कर दिया. तब रावण और कुबेर के बीच युद्ध हुआ, लेकिन ब्रह्माजी से मिले वरदान की वजह से कुबेर रावण से हार गए. जिसके बाद रावण ने कुबेर का पुष्पक विमान भी छीन लिया.


धन के रक्षक माने जाते हैं कुबेर 


कुबेर के बारे में शास्त्रों में कथा आती है कि उनके तीन पैर और आठ दांत हैं. ये अपनी कुरुपता के कारण प्रसिद्ध हैं. शतपथ ब्राह्मण नामक ग्रंथ में इन्हें राक्षस कुल का बताया गया है. हालांकि कुबेर को यक्ष भी कहा गया है. यक्ष को धन का रक्षक माना जाता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)