Jagannath Rath Yatra ki Subhkamnaye: ओडिशा के पुरी की महाप्रभु जगन्‍नाथ की हर साल निकलने वाली रथ यात्रा आस्‍था, भक्ति का अलौकिक समागम है. देश-दुनिया में फैले प्रभु जगन्‍नाथ के भक्‍त लाखों की तादाद में हर साल रथ यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी पहुंचते हैं और मंदिर से निकलकर भक्‍तों के बीच आए प्रभु जगन्‍नाथ के दर्शन करते हैं. प्रभु जगन्‍नाथ, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा के रथ को खींचने का पुण्‍यदायी मौका पाने के लिए लाखों हाथ बेताब होते हैं. धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार पुरी की जगन्‍नाथ रथ यात्रा में शामिल होने मात्र से 100 यज्ञ करने जितना फल मिलता है. 


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साल 2024 की रथ यात्रा शुरू 


पुरी की रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास के द्वितीया तिथि को निकाली जाती है. इस साल यह रथ यात्रा 7 जुलाई 2024, रविवार यानी कि आज से शुरू हो गई है. रथ यात्रा में शामिल होने के लिए गृह मंत्री अमित शाह परिवार के साथ पहुंचे और मंगला आरती में शामिल हुए. 


रथ यात्रा के दिन बने कई शुभ योग 


इस बार रथ यात्रा के दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं, जो कि बहुत ही दुर्लभ संयोग है. पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्‍ल द्वितीया तिथि 7 जुलाई को तड़के सुबह 3:44 बजे प्रारंभ हुई और 8 जुलाई की तड़के सुबह 4:14 बजे तक रहेगी. इसके चलते श्रद्धालुओं को भगवान जगन्‍नाथ की पूजा करने के लिए पूरा दिन मिलेगा. 


वहीं आज 7 जुलाई रविवार को रवि पुष्‍य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, शिववास, समेत कई शुभ योग बन रहे हैं. रवि पुष्‍य योग में सोना, चांदी, घर, वाहन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस शुभ योग में गृह प्रवेश करना, नए काम की शुरुआत करना भी अति उत्‍तम माना गया है. 


...इसलिए निकलती है पुरी की रथ यात्रा 
 
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक बार नगर देखने की इच्छा जाहिर की थी. तब जगन्नाथ जी और बलभद्र जी अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने के लिए निकल पड़े. इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और 7 दिन तक वहां ठहरे. तभी से यहां पर रथयात्रा निकालने की परंपरा है.


हर साल 3 सुसज्जित रथों में विराजमान होकर प्रभु जगन्‍नाथ, भाई बलराम, बहन सुभद्रा के साथ के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं. फिर गुंडीचा माता मंदिर जाते हैं. जहां 7 दिन तक उनकी खूब आवभगत होती है. इसके बाद वे श्री जगन्‍नाथ मंदिर को वापस आते हैं. रथ यात्रा में सबसे आगे बलराज जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथ प्रभु का रथ होता है. साल में यही एक मौका होता है जब प्रभु जगन्‍नाथ अपने भक्‍तों के बीच स्‍वयं आते हैं.