Kaal Bhairav Jayanti Puja Muhurat: काल भैरव की जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस बार महाकाल की जयंती 16 नवंबर यानी कि बुधवार को है. इस बार काल भैरव जयंती के दिन ब्रह्म योग बन रहा है, जो कि इस तिथि को खास बना रहा है. काल भैरव को भगवान शिव का उग्र स्वरूप माना जाता है. आइए जानते हैं कि क्यों मनाई जाती है यह जयंती, क्या है क्या महत्व और किस समय है पूजा का मुहूर्त.


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जयंती की तिथि


मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 16 नवंबर को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से हो रहा है, तो 17 नवंबर को सुबह 7 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. उदयातिथि के आधार पर काल भैरव जयंती 16 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन ब्रह्म योग सुबह से लेकर देर रात 1 बजकर 9 मिनट तक है.


शुभ मुहूर्त


काल भैरव की निशिता मुहूर्त में पूजा की जाती है. इस दिन निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 40 मिनट से देर रात 12 बजकर 33 मिनट तक है. हालांकि, जो लोग सुबह के समय में पूजा करना चाहते हैं, वह प्रातः 6 बजकर 44 मिनट से 9 बजकर 25 मिनट के बीच में पूजा कर सकते हैं. वहीं, शाम को 4 बजकर 7 मिनट से 5 बजकर 27 मिनट और 7 बजकर 7 मिनट से रात 10 बजकर 26 मिनट तक भी पूजा का शुभ मुहूर्त है.


महत्व


पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माता सती ने पिता राजा दक्ष के यज्ञ के हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया, तब भगवान शिव क्रोधित हो उठे थे. उनके इसी क्रोध से काल भैरव प्रकट हुए थे. काल भैरव ने राजा दक्ष को दंडित किया था. काल भैरव की पूजा करने से सभी तरह की बुरी शक्तियां समाप्त होती हैं. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)