नई दिल्ली: भारत धार्मिक देश हैं जहां पर हर गली-मोहल्लें में मंदिर मिल जाएंगे. इन्हीं में से कुछ का अपना इतिहास और मान्यताएं हैं. भोपाल का श्री लक्ष्मी नारायण शहर में श्रद्धा और फैमिली के साथ टाइम स्पेंड करना का एक अच्छा स्पॉट है. इस मंदिर के बनने के पीछे की कहानी भी काफी मजेदार है. बता दें कि अरेरा पहाड़ियों में बना इस मंदिर की स्थापना भारत के प्रमुख औद्योगिक बिड़ला परिवार द्वारा की गई थी. इस मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के अलावा भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं की पत्थरों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. 


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इस मंदिर का शिलान्यास साल 1960 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. कैलाशनाथ काटजू ने किया था और उद्‍घाटन वर्ष 1964 में मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र के हाथों संपन्न हुआ. कहा जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री काटजू ने बिड़ला परिवार को उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन देने के साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि वह इस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में एक भव्य विशाल मंदिर का निर्माण करवाएं. 


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अरेरा पहाड़ी पर लगभग पांच दशक पहले बना श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर धार्मिक आस्था का केन्द्र रहा है. करीब 7-8 एकड़ पहाड़ी क्षेत्र में फैले इस मंदिर की ख्याति देश और प्रदेश के विभिन्न शहरों में फैली हुई है. मंदिर के अंदर विभिन्न पौराणिक दृश्यों की संगमरमर पर उकेरी गईं तस्वीरें देखने वालों का मनमोह लेती हैं. इतना ही नहीं यहां पर ‘गीता’ और ‘रामायण’ के उपदेश भी अंकित किए गए हैं. मंदिर में मंडप, महामंडप और परिक्रमापथ की दीवारों पर वेद, गीता, रामायण, महाभारत और पुराण आदि के श्लोक लिखे हुऐ हैं.