Mahabharat 18 Number Connection महाभारत का युद्ध द्वापर युग धर्म की रक्षा के लिए लड़ा गया था जिसमें युद्ध के अठारहवें दिन धर्म के रक्षक पांडवों की जीत हुई थी. महाभारत के युद्ध को कुरूक्षेत्र के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में ही लड़ा गया था. महाभारत युद्ध की एक दो नहीं बल्कि कई रोचक बातें सामने आई हैं. जैसे कि इस युद्ध में खुद भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे. जो कि बिना रुके 18 दिनों तक चला था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केवल 18 दिनों तक ही इस युद्ध के चलने की वजह क्या है कभी जानने कि कोशिश की है. तो आइए विस्तार में जानते हैं कि आखिर यह महाभारत का युद्ध 18 दिन तक ही क्यों चला था!


महाभारत युद्ध का 18 संख्या से क्या है ताल्लुक


महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चलने के पीछे इस संख्या से जुड़ा हुआ है. 18 संख्या महाभारत युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण संख्या है. दरअसल महाभारत ग्रंथ पर ध्यान दें तो इसके कुल 18 ही अध्याय हैं. और इसी 18 दिन तक भगवान श्री कृष्ण ने भी युद्ध के मैदान में अर्जुन को 18 गीता के ज्ञान दिए थे. महाभारत का युद्ध भी 18 दिनों तक ही चलता रहा था. आखिर में युद्ध के अंत में 18 लोग ही बचे थें.


युद्ध के 18 दिन तक चलने के पीछे एक और मुख्य वजह यह भी है कि महर्षि वेद व्यास ने महाभारत युद्ध होने के पहले ही महाभारत ग्रंथ की रचना कर दी थी. जिसमें कुल अध्याय की संख्या की बात करें तो यह 18 ही अध्याय थे. यानी कि एक दिन का एक अध्याय. महर्षि ने अपनी दिव्य दृष्टि से इस युद्ध को पहले ही देख कर रच लिया था. इस ग्रंथ का लेखन भगवान श्री गणेश ने किया था.


तो इसलिए 18 दिन तक चला था महाभारत युद्ध


यही वजह है कि महाभारत के 18 अध्याय पहले से ही रचीत थे इसलिए यह युद्ध भी 18 दिनों तक चला. युद्ध के आखिरी दिन में भीम ने दुर्योधन की जंघा पर वार किया था जिसके बाद उसकी मृत्यु से ही महाभारत युद्ध और आखिरी अठारहवें अध्याय का अंत हो गया.


 इसी कारण महाभारत ग्रंथ के 18 अध्याय 18 दिन में लिखे गए थे यानी कि 1 अध्याय 1 दिन में और उसी अध्याय के अंतर्गत होने वाली घटनाएं घटित हुईं. ऐसे में महाभारत का युद्ध 18 अध्याय के अनुसार 18 दिन तक चला. सरल शब्दों में कहें तो ग्रंथ के जिस अध्याय में जो.जो घटनाएं हुईं यह असल में जब युद्ध हुआ था तब भी सब वैसे ही घटित हुआ था और युद्ध 18 दिन तक चला. महाभारत के अंतिम यानी अठारहवें दिन भीम दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करते हैं जिससे दुर्योधन की मृत्यु को हो जाती है और इस प्रकार दुर्योधन की मृत्यु होने से पांडव विजयी हो जाते हैं.



Surya Dev Puja: रविवार को पूजा के बाद जरूर करें ये उपाय, सूर्य के समान चमकेगा भाग्य, हर कार्य में मिलेगी सफलता
 


Vastu Tips For Plant: घर के मंदिर में रखें इस पौधे की जड़, एक दो नहीं बल्कि मिलेंगे हजारों लाभ, बना रहेगा धन का आगमन
 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)