mantra therapy: इस मंत्र के जाप से शरीर के हर दर्द-पीड़ा होते हैं छूमंतर, जानें क्या है विशेषता
ramcharitmanas: जब चिकित्सक की बताई दवा भी इस तरह की पीड़ा को न दूर कर सके तो आपको मंत्र चिकित्सा का सहारा लेना चाहिए. मंत्रों में अपार शक्ति होती है. मंत्र चिकित्सा से आश्चर्यजनक सकारात्मक परिणाम आते हैं.
ramcharitmanas chaupai: कई बार हैट्रिक शेड्यूल के कारण हम लगातार काम करते रहते हैं और आराम करने के लिए समय ही नहीं मिल पाता है. ऐसे में हम बहुत सी शारीरिक समस्याओं से घिर जाते हैं. लगातार काम करने वाले लोगों में कभी मस्क्यूलर पेन तो कभी बैक पेन होने लगता है. शरीर में हमेशा टूटन या दर्द बना रहता है. काम करने के बाद जब थोड़ा सा समय आराम करने को मिलता है और बेड पर लेटते हैं तो कई लोगों को शरीर का दर्द बेचैन कर देता है. कभी दर्द पैरों की तरफ शुरू होता है तो कभी हाथों, कंधों, सिर या गर्दन में होने लगता है और आप बेचैनी में करवटें बदलते रहते हैं. ऐसे में आराम करने के बाद भी आराम नहीं कर पाते हैं, क्योंकि जब नींद की झपकी लगती है, तभी पहले से लगाया गया अलार्म घनघनाने लगता है. कई बार तो पेन किलर लेने के बाद भी आराम नहीं मिल पाता है.
जब चिकित्सक की बताई दवा भी इस तरह की पीड़ा को न दूर कर सके तो आपको मंत्र चिकित्सा का सहारा लेना चाहिए. मंत्रों में अपार शक्ति होती है, जो शारीरिक दर्द की परेशानी किसी भी एलोपैथी दवा के हैवी डोज या इंजेक्शन से नहीं ठीक हो पाती है. मंत्र चिकित्सा से आश्चर्यजनक सकारात्मक परिणाम आते हैं.
मंत्र का जाप
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखित रामचरित मानस के कई दोहे और चौपाइयां, ऐसे ही चमत्कारिक असर वाली हैं. इनका जाप करने मात्र से असहनीय पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है. बाली और सुग्रीव के बीच युद्ध और प्रभु श्रीराम द्वारा बाली के वध की कथा तो सबको पता ही है. तय योजना के अनुसार सुग्रीव ने बाली को ललकार कर उससे युद्ध किया, किंतु युद्ध में बाली के प्रहारों को, वह नहीं झेल सके और असहनीय पीड़ा होने लगी तो वह भाग आए और श्रीराम से शिकायत की. श्रीराम ने कहा कि तुम दोनों एक जैसे दिखते हो, जिसके कारण मैं बाली को नहीं मार सका. भयंकर दर्द से पीड़ित सुग्रीव के कराहने पर श्रीराम ने उसके शरीर को अपने कोमल हाथों से स्पर्श किया तो उसकी पीड़ा छूमंतर हो गई और सुग्रीव का शरीर वज्र के समान हो गया. अगले दिन सुग्रीव माला पहन कर गए और युद्ध के चरम पर श्रीराम ने बाली को तीर से मार डाला.
गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है...
एकरूप तुम्ह भ्राता दोऊ। तेहि भ्रम तें नहिं मारेउँ सोऊ।।
कर परसा सुग्रीव सरीरा। तनु भा कुलिस गई सब पीरा।।
तुम दोनों भाइयों का एक-सा ही रूप है. इसी भ्रम से मैंने उसको नहीं मारा, फिर श्रीराम जी ने सुग्रीव के शरीर को हाथ से स्पर्श किया, जिससे उसका शरीर वज्र के समान हो गया और सारी पीड़ा चल गयी. मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है, जैसा सुग्रीव के साथ हुआ था.
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