शुभ मुहूर्त: पदभार या शपथ ग्रहण किसी ऐसे मुहूर्त में करें कि आपका कार्यकाल ऐतिहासिक हो जाए. आज के लेख में ऐसे ही कुछ शुभ मुहूर्तों के बारे में बता रहे हैं.
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auspicious time: आप चाहे किसी भी नौकरी में हों या फिर बिजनेस करते हैं. किसी न किसी सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक, आर्थिक संगठन से किसी न किसी रूप में सक्रिय होंगे. यदि आप सक्रिय नहीं हैं तो जुड़े तो होंगे ही और इन सभी संगठनों में समय -समय पर विभिन्न पदों या दायित्वों के लिए चुनाव अथवा चयन तो होता ही है. कभी आपके सामने भी किसी महत्वपूर्ण दायित्व को निभाने का अवसर भी आ सकता है.
अब यदि आपका चयन अथवा चुनाव किसी ऐसे ही महत्वपूर्ण पद के लिए हो गया तो आप हर हाल में यह चाहेंगे कि आपका कार्यकाल निर्विघ्न ही संपन्न हो. कार्यकाल में ऐसी धाक जमे कि इसके पूरा होने के बाद लोग फिर से आपको ही चुनना चाहें. यदि ऐसा न भी हुआ और हो सकता है कि लोगों की चाहत तो आपकी कार्यकुशलता को देखते हुए हुई. आपकी ही इच्छा न हुई तो भी आप यह तो चाहेंगे ही की आपका कार्यकाल यादगार साबित हो. लोग आपसी बातचीत में कार्यक्षमता की मिसाल देते घूमें.
ऐसे में यह बहुत ही जरूरी है कि आप चाहे सरकार में मंत्री बनें या प्रधान, सरपंच और किसी राजनीतिक या सामाजिक संगठन में महत्वपूर्ण पद संभाले. इसके साथ ही किसी दल में नेता बनने जा रहे हो. पदभार या शपथ ग्रहण किसी ऐसे मुहूर्त में करें कि आपका कार्यकाल ऐतिहासिक हो जाए. आज के लेख में ऐसे ही कुछ शुभ मुहूर्तों के बारे में बता रहे हैं.
मुहूर्त
किसी भी माह के कृष्ण अथवा शुक्ल पक्ष में चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी की तिथि को पदभार ग्रहण किया जा सकता है. इसके साथ ही यदि पदग्रहण की तारीख को अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, तीनों प्रकार के उत्तरा नक्षत्र यानी उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद, हस्त, चित्रा, अनुराधा, ज्येष्ठा, अभिजित, श्रवण और रेवती नक्षत्र हो तो और भी उत्तम रहता है. अभिजित मुहूर्त में भी पद ग्रहण अच्छा माना जाता है.