नई दिल्ली: नवरात्र का पावन पर्व राम नवमी के साथ समापन होगा. हिन्दू धर्म में भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. मान्‍यता है कि चैत्र माह की शुक्‍ल पक्ष की नवमी के दिन भगवान राम का जन्‍म हुआ था. नवरात्र में मां के भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों के आराधना के साथ भगवान की भी पूजा अर्चना करते हैं. 6 अप्रैल से शुरू हुए चैत्र नवरात्र 14 अप्रैल को समाप्त होंगे. नौ दिनों के व्रत करके मां के भक्त अष्टमी और नवमी के दिन अपने घर में कन्या पूजन करते हैं. इस बार 13 और 14 अप्रैल को दो दिन नवमी मनाई जाएगी. 


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इसलिए मनाई जाती है राम नवमी
पौराणिक कथा के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थीं. मगर तीनों रानियों में से किसी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी. तब ऋषि मुनियों से सलाह लेकर राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. इस यज्ञ से निकली खीर को राजा दशरथ ने अपनी बड़ी रानी कौशल्या को खिलाया. इसके बाद चैत्र शुक्ल नवमी को पुनरसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्रीराम का जन्म हुआ. उसी दिन से राम नवमी का पर्व मनाया जाता है. हिन्‍दू मान्‍यताओं में भगवान राम को सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्‍णु का सातवां अवतार माना जाता है. कहा जाता है कि श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने जिस राम चरित मानस की रचना की थी, उसका आरंभ भी उन्‍होंने इसी दिन से किया था.


 



दो दिन है महानवमी
ज्योतिषाचार्य डॉ दीपक शुक्ला के मुताबिक, 13 अप्रैल (शनिवार) को ही महाष्टमी और महानवमी दोनों पड़ रही हैं. 13 अप्रैल की सुबह 08:15 बजे तक अष्टमी है. इसके बाद नवमी शुरू हो जाएगी, जो 14 अप्रैल की सुबह 6 बजकर 05 मिनट तक रहेगी. इसलिए नवमी को ही नवरात्र में होने वाला यज्ञ और पूजा-अर्चना 14 अप्रैल को सुबह 6 बजे के पहले किसी भी समय करना शुभ फलदायी होगा. 12 अप्रैल 2019 को शुक्रवार के दिन सुबह 10:18 बजे से लेकर 13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह दिन में 08:16 बजे तक अष्टमी रहेगी. इस दिन ही कन्या खिलाने के बाद भक्तजन व्रत खोलेंगे.


ऐसे करें पूजा-अर्चना
अष्टमी और महानवमी की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर को साफ कर घर के पूजा स्थल पर पूजन सामग्री रख लें. धूप दीप जलाकर रामनवमी की पूजा षोडशोपचार करें. इसके साथ ही राम रक्षास्त्रोत का भी पाठ करें. अब नौ कन्‍याओं को घर में बुलाकर उनको भोजन कराएं और कुछ भेंट देकर खुशी खुशी विदा करें. इसके बाद घर के सभी सदस्‍यों में प्रसाद बांटकर व्रत का पारण करें.