Lord Vishnu Mantra- Chalisa: शास्त्रों में हर माह आने वाली एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की नियमित रूप से पूजा करने से भक्तों के सभी दुख-संकट दूर होते हैं. साथ ही, श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सालभर में आने वाली एकादशियों में से निर्जला एकादशी बेहद खास मानी गई है. कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से सभी एकादशी का व्रत रखने का फल प्राप्त होता है.


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बता दें कि इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई के दिन रखा जा रहा है. कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में एकादशी व्रत के दिन कई उपायों के बारे में बताया गया है. साथ ही, इस दिन पूजा के साथ कुछ मंत्र जाप और नारायण स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को लाभ होता है. मान्यता है कि आज के दिन नारायण कवच स्त्रोत का पाठ करने से विशेष लाभ होता है.


नारायण कवच प्रारंभ


ॐ श्री विष्णवे नमः ।।


ॐ श्री विष्णवे नमः ।।


ॐ श्री विष्णवे नमः ।।


ॐ नमो नारायणाय ।।


ॐ नमो नारायणाय ।।


ॐ नमो नारायणाय ।।


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।


ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां न्यस्ताड़् घ्रिपद्मः पतगेन्द्रपृष्ठे ।


दरारिचर्मासिगदेषुचापपाशान् दधानोsष्टगुणोsष्टबाहुः ।।


जलेषु मां रक्षतु मत्स्यमूर्तिर्यादोगणेभ्यो वरूणस्य पाशात् ।


स्थलेषु मायावटुवामनोsव्यात् त्रिविक्रमः खेऽवतु विश्वरूपः ।।


दुर्गेष्वटव्याजिमुखादिषु प्रभुः पायान्नृसिंहोऽसुरुयूथपारिः ।


विमुञ्चतो यस्य महाट्टहासं दिशो विनेदुर्न्यपतंश्च गर्भाः ।।


रक्षत्वसौ माध्वनि यज्ञकल्पः स्वदंष्ट्रयोन्नीतधरो वराहः ।


रामोऽद्रिकूटेष्वथ विप्रवासे सलक्ष्मणोsव्याद् भरताग्रजोsस्मान् ।।


मामुग्रधर्मादखिलात् प्रमादान्नारायणः पातु नरश्च हासात् ।


दत्तस्त्वयोगादथ योगनाथः पायाद् गुणेशः कपिलः कर्मबन्धात् ।।


सनत्कुमारोऽवतु कामदेवाद्धयशीर्षा मां पथि देवहेलनात् ।


देवर्षिवर्यः पुरूषार्चनान्तरात् कूर्मो हरिर्मां निरयादशेषात् ।।


धन्वन्तरिर्भगवान् पात्वपथ्याद् द्वन्द्वाद् भयादृषभो निर्जितात्मा ।


यज्ञश्च लोकादवताज्जनान्ताद् बलो गणात् क्रोधवशादहीन्द्रः ।।


द्वैपायनो भगवानप्रबोधाद् बुद्धस्तु पाखण्डगणात् प्रमादात् ।


कल्किः कलेः कालमलात् प्रपातु धर्मावनायोरूकृतावतारः ।।


मां केशवो गदया प्रातरव्याद् गोविन्द आसंगवमात्तवेणुः ।


नारायण प्राह्ण उदात्तशक्तिर्मध्यन्दिने विष्णुररीन्द्रपाणिः ।।


देवोsपराह्णे मधुहोग्रधन्वा सायं त्रिधामावतु माधवो माम् ।


दोषे हृषीकेश उतार्धरात्रे निशीथ एकोऽवतु पद्मनाभः ।।


श्रीवत्सधामापररात्र ईशः प्रत्यूष ईशोऽसिधरो जनार्दनः ।


दामोदरोऽव्यादनुसन्ध्यं प्रभाते विश्वेश्वरो भगवान् कालमूर्तिः ।।


चक्रं युगान्तानलतिग्मनेमि भ्रमत् समन्ताद् भगवत्प्रयुक्तम् ।


दन्दग्धि दन्दग्ध्यरिसैन्यमाशु कक्षं यथा वातसखो हुताशः ।।


गदेऽशनिस्पर्शनविस्फुलिङ्गे निष्पिण्ढि निष्पिण्ढ्यजितप्रियासि ।


कूष्माण्डवैनायकयक्षरक्षोभूतग्रहांश्चूर्णय चूर्णयारीन् ।।


त्वं यातुधानप्रमथप्रेतमातृपिशाचविप्रग्रहघोरदृष्टीन् ।


दरेन्द्र विद्रावय कृष्णपूरितो भीमस्वनोऽरेर्हृदयानि कम्पयन् ।।१


त्वं तिग्मधारासिवरारिसैन्यमीशप्रयुक्तो मम छिन्धि छिन्धि ।


चक्षूंषि चर्मञ्छतचन्द्र छादय द्विषामघोनां हर पापचक्षुषाम् ।।


यन्नो भयं ग्रहेभ्योऽभूत् केतुभ्यो नृभ्य एव च ।


सरीसृपेभ्यो दंष्ट्रिभ्यो भूतेभ्योंऽहोभ्य एव वा ।।


सर्वाण्येतानि भगवन्नामरूपास्त्रकीर्तनात् ।


प्रयान्तु संक्षयं सद्यो ये नः श्रेयः प्रतीपकाः ।।


गरूड़ो भगवान् स्तोत्रस्तोभश्छन्दोमयः प्रभुः ।


रक्षत्वशेषकृच्छ्रेभ्यो विष्वक्सेनः स्वनामभिः ।।


सर्वापद्भ्यो हरेर्नामरूपयानायुधानि नः ।


बुद्धीन्द्रियमनः प्राणान् पान्तु पार्षदभूषणाः ।।


यथा हि भगवानेव वस्तुतः सदसच्च यत् ।


सत्येनानेन नः सर्वे यान्तु नाशमुपद्रवाः ।।


यथैकात्म्यानुभावानां विकल्परहितः स्वयम् ।


भूषणायुद्धलिङ्गाख्या धत्ते शक्तीः स्वमायया ।।


तेनैव सत्यमानेन सर्वज्ञो भगवान् हरिः ।


पातु सर्वैः स्वरूपैर्नः सदा सर्वत्र सर्वगः ।।


विदिक्षु दिक्षूर्ध्वमधः समन्तादन्तर्बहिर्भगवान् नारसिंहः ।


प्रहापयँल्लोकभयं स्वनेन स्वतेजसा ग्रस्तसमस्ततेजाः ।।


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)