Padmanabha Swamy Temple Mystery: भगवान महाविष्णु, एक प्राचीन शाही परिवार के कुलदेवता और इनके अकूत खजानने का रहस्य. ये क्यों कही जाती है ट्रिलियन डॉलर मिस्ट्री? हम जानते हैं, रहस्य को मापने का पैमाना, लखा, करोड़ अरब-खरब या ट्रिलियन नहीं हो सकता, लेकिन आर्थिक गणना का ये पैमाना ट्रिलियन डॉलर, अगर महाविष्णु के खजाने से जुड़ा है, तो रहस्य जरूर कोई बड़ा होगा. आज की स्पेशल रिपोर्ट में हम खोलेंगे उसी रहस्य की कड़ियां, जिन पर राजपरिवार चुप है. 8 साल की सुनवाई और 4 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पद्मनाभस्वामी मंदिर में  यथास्थिति बनी हुई है. तो क्या इस मंदिर के आखिरी तहखाने का कभी राज नहीं खुल पाएगा?


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पद्म पुराण में मिलता है मंदिर का वर्णन


केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के बीच किसी किले की तरह खड़ा पद्मनाभ स्वामी मंदिर, अपनी बनावट में ही तमाम रहस्य समेटे हुए है. मंदिर में भगवान विष्णु की अनूठी मूर्ति है, जिसमें वो शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान दिखते हैं. भगवान विष्णु के इस रूप का जिक्र पद्म पुराण में मिलता है और उनके साथ इस मंदिर का भी वर्णन है.


एक पौराणिक कथा इसे महाभारत काल से जोड़ती है. इसके मुताबिक द्वापर युग में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम ने एकादशी के दिन पद्मनाभ स्वामी मंदिर में पूजा की थी. वो दिन था कलियुग का पहला दिन.


कलियुग के पहले दिन निर्माण की कथा


पद्मनाभ स्वामी मंदिर का ये पौराणिक तथ्य ये बताता है कि ये कितना प्राचीन और पवित्र है. इन्हीं वजहों से इस मंदिर को भगवान विष्णु के 108 पीठों में गिना जाता है. हिंदी पंचांग के मुताबिक साल के 7वें महीने अश्विन की एकादशी को पद्मनाभ एकादशी कहा जाता है, जिस दिन मंदिर में विशेष पूजा होती है.


पद्मनाभ मंदिर में मौजूद है अकूत खजाना


पद्मनाभ एकादशी यानी मंदिर बनने की वर्षगांठ. 21वीं सदी के शुरूआती 20 बरसों में ये मंदिर खूब सुर्खियों में रहा. लेकिन पिछले 4 बरसों से एक अजीब सी चुप्पी है, जैसे मंदिर से जुड़े रहस्यों पर परदा हमेशा के लिए डल चुका है. वो रहस्य है मंदिर के तहखानों का, और तहखानों में भरे अकूत खजाने का. एक अनुमान के मुताबिक, मंदिर में 1 ट्रिलियन डॉलर का खजाना है. एक ट्रिलियन डॉलर का मतलब है 84 लाख करोड़ रु. अब तक खुले 5 तहख़ानों से 1 लाख 32 हजार करोड़ का खजाना मिला है.


छठा तहख़ाना खोलने को लेकर कैसी आशंका, या अनहोनी का डर?


पद्मनाभ मंदिर के तहखाने से जुड़ा ये वो सवाल है, जिस पर ना तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश कुछ साफ कहता है और ना ही मंदिर का प्रबंधन देखने वाले ट्रस्ट का रुख. लेकिन आज हम इस रहस्य से जुड़े एक ऐसे शख्स के जरिए ये पूरी कहानी समझेंगे, जो सबसे पहले मंदिर के तहखाने में उतरे थे. ये शख्स हैं रिटायर्ड आईएएस अफसर के. जय कुमार.


जब मंदिर के तहखाने में गए तो क्या मिला?


के. जयकुमार 2011 में केरल के मुख्य सचिव होने के नाते पद्मनाभ स्वामी देवस्थानम बोर्ड के भी सचिव थे और उस जांच कमेटी का हिस्सा थे, जो सुप्रीम कोर्ट ने तहखाना खुलवाने और खजाने के मूल्यांकन के लिए बनाई थी. रिटायर्ड जजों वाली कमेटी में शामिल के. जयकुमार सबसे युवा थे. लिहाजा जब मंदिर का पहला तहखाना खोला गया, तब इन्हें ही पहला कदम रखने को कहा गया. ये काम कितना मुश्किल था, सुनिए के. जयकुमार की जुबानी. वे बताते हैं कि हम लोग ऊपर से नीचे की तरफ खोलते गए, ये इतने दिनों से बंद था, तो हमें आशंका थी कि इसके अंदर जहरीली गैसें हो सकती हैं. इसलिए हम इसमें ऑक्सिजन डालते थे, फिर उसके अंदर दाखिल हुए.


ये तो हुई पहले तहखाने की बात, लेकिन इसके बाद 5 तहखानों का क्या हुआ और इसमें क्या मिला? जैसे जैसे ये तहखाने खुले जांच कमेटी की आंखें चौंधियाती गईं. दरअसल ये पूरा मामला कोर्ट में इसलिए गया था, ताकि मंदिर के खजाने की देखभाल में पारदर्शिता बरती जाए. क्योंकि मंदिर के बारे में ये जानकारी बहुत पहले से ही थी, कि इसमें सीक्रेट वॉल्ट्स यानी गुप्त तहखाने हैं, जिसमें हजारों करोड़ का सोना चांदी और हीरे जवाहरात रखे गए गए हैं. लेकिन इन तहखानों को लेकर जो मान्यता थी, कि वो ये, कि इन्हें जो खोलेगा उसका विनाश हो जाएगा. 


खजाने के लिए पड़ोसी रियासतों ने किए हमले


पद्मनाभ स्वामी मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता के पीछे कुछ ऐतिहासिक वजहें भी थीं, क्योंकि मैसूर जैसे तमाम पड़ोसी रियासतों ने त्रावणकोर पर हमले किए, लेकिन जीत किसी को नहीं मिली. इतिहास में कुछ ऐसी घटनाओं का जिक्र है, जिसमें मंदिर का खजाना चुराने की कोशिश की गई, लेकिन जो चुराने आया, वो रहस्यमयी तरीके से मौत का शिकार हुआ, तो क्या इसी डर से मंदिर का छठा तहखाना नहीं खोला जा रहा? 


पद्मनाभ स्वामी मंदिर के निचले हिस्से में इन तहखानों को लेकर रहस्य इसलिए भी सदियों तक बना रहा, क्योंकि इन्हें खुलते हुए किसी ने नहीं देखा. कुछ दस्तावेज बताते हैं, कि 18वीं सदी तक इन्हें खोला जाता रहा है, इस दौरान राजपरिवार तहखानों में मंदिर में चढ़ावे में आए हीरे जवाहरात और आभूषण रखता था. लेकिन तब भी कौन सा तहखाना खोला गया और किसे छुआ तक नहीं गया, ये मंदिर की चौहद्दी से बाहर रहस्य ही रहा.


2011 में जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर का सर्वे हुआ, तो इसमें 6 तहखानों का पता चला. जांच कमेटी ने इनकी नंबरिंग कुछ ऐसे की. 


वॉल्ट- A- खोला गया


वॉल्ट- B- अब तक बंद 


वॉल्ट- C- खोला गया


वॉल्ट- D- खोला गया


वॉल्ट- E- खोला गया


वॉल्ट- F- खोला गया


वॉल्ट नंबर ए, जिसे जांच कमेटी ने पहले खोला, उसके बाद सी खोला गया, डी खोला गया, ई खोला गया और एफ खोला गया. जांच के दौरान 2 और भी छोटे तहखानों का पता चला, लेकिन पांच तहखाने खोलने के बाद काम रोक दिया गया. जिस तहखाने को कमेटी ने खोलने से हाथ पीछे खींच लिए, वो था वॉल्ट नंबर- B


इस वॉल्ट नंबर बी, यानी छठे तहखाने को लेकर कई मान्यताएं हैं. पहली तो ये, इसे खोलना मतलब मंदिर का अस्तित्व खत्म, इसके बाद भी अनहोनी ऐसी होगी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. कोई कहता है, इस तहखाने का रास्ता समुद्र तक जाता है, तो कोई कहता है इसकी रक्षा कुछ अदृश्य शक्तियां करती हैं. जैसे कि ये इच्छाधारी नाग, जिनकी आकृति छठे तहखाने के दरवाजे पर बनी है. 


दरवाजे पर दिखती हैं दो नागों की आकृतियां


इसके दरवाजे में दो किवाड़ दिखते हैं, कोई ताला नहीं लगा है. दरवाजे पर नागों की जो आकृतियां हैं, तहखाने के अंदर भी मौजूद हैं. 1930 के दशक में जब लुटेरों का एक गिरोह तहखाने के पास गया, तो नागों का जोड़ा देखकर भाग गया. माना जाता है तहखाने के दरवाजे को नागपाश मंत्र से बांधा गया है. 
इसे कोई सिद्ध संत ही गरुड़ मंत्र के जाप से खोल सकता है. 


लेकिन गरुड़ मंत्र के साथ शर्त ये है कि इसका जाप उसी ध्वनितरंग का होना चाहिए, जिस तरंग के साथ ये दरवाजा लॉक किया गया था. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो ना तो ये दरवाजा खुलेगा और ना ही टूटेगा. अगर तोड़ने की कोशिश की, तो फिर विनाश का सामना करना पड़ेगा, ऐसी मान्यता सदियों से बनी हुई है. 


जांच टीम को भी तहखाने की जांच के दौरान कुछ ऐसे संकेत मिले, जिसके आधार पर छठा तहखाना बेहद खास लगा, ये ना सिर्फ मंदिर के केन्द्रीय हिस्से में है, बल्कि इसी से जुड़ी हुई भगवान महाविष्णु की मूर्ति भी है. जांच टीम का ये भी कहना है, कि 6ठे तहखाने को लेकर वो श्योर नहीं थे, कि इसके अंदर हीरे जवाहरात होंगे ही. ये खाली भी सकता है, लेकिन सवाल ये है, कि जब पहले के 5 तहखानों में 1लाख 32 हजार करोड़ के हीरे जेवरात मिले, तो फिर आखिरी वॉल्ट को लेकर जांच टीम को इतना संकोच क्यों?


अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट गया राजपरिवार


पद्मनाभ स्वामी मंदिर के तहखानों में रखे गए हीरे जेवरातों को लेकर एक विवाद मालिकाना हक का भी था. केरल हाई कोर्ट में एक याचिका 2007 में ही लगाई गई थी, कि मंदिर के खजानों का मालिकाना हक केरल सरकार को दे दिया जाए. इस पर केरल हाई कोर्ट ने फैसला राजपरिवार के खिलाफ सुना दिया. इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी बनाई, लेकिन त्रावणकोर राजपरिवार मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट गया. सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2020 में आदेश दिया कि भारत में विलय के दौरान त्रावणकोर रियासत को अपने धार्मिक स्थलों का स्वामित्व रखने की इजाजत दी गई थी. इसलिए खजानों का मालिक राजपरिवार ही है. राजपरिवार शुरू से ही छठा तहखाना खुलवाने के पक्ष में नहीं था, तो इसके पीछे क्या रहस्य है.


अगर सीधे तौर पर कहें, तो त्रावणकोर का राजपरिवार वॉल्ट नंबर बी से जुड़ी उन्हीं मान्यताओं का पैरोकार है, जिनमें इसकी पहरेदारी ईश्वरीय शक्तियों के जरिए होने की बात कही जाती है. राजपरिवार ये बात कोर्ट में भी कह चुका है कि उसकी मर्जी अगर सुनी जाएगी, तो ये तहखाना कभी नहीं खोला जाना चाहिए, क्योंकि इसे भयंकर नुकसान होगा.


सुप्रीम कोर्ट में मुद्दा उठाने वाले वकील की मौत


संयोग से ऐसी घटना 2012 में घटी भी, जिसकी वजह से ये डर और भी ज्यादा कायम हुआ. दरअसल पूर्व आईपीएस अफसर और बाद में सुप्रीम कोर्ट के वकील बने टी.पी सुंदरराजन ही वो शख्स थे, जो पद्मनाभ मंदिर के खजाने के सर्वे का मामला कोर्ट लेकर गए थे. सुंदरराजन की दलील थी, कि मंदिर में रखे गये अकूत खजाने का सर्वे और आकलन किया जाए. इसी के बाद से ये पूरा विवाद बढ़ा. तब पद्मनाभ मंदिर में आस्था रखने वाले तमाम लोगों ने इस विवाद में नहीं पड़ने की सलाह दी थी, लेकिन वो रुके नहीं. लेकिन एक दिन अचानक 17 मई 2012 की रात बुखार लगने के दूसरे दिन ही उनकी मौत हो गई.


सुंदरराजन की अचानक मौत को तमाम लोगों ने मंदिर के तहखाने के रहस्य से जोड़ा. यानी वही मान्यता एक बार फिर मजबूत हुई, कि जिसने भी मंदिर का रहस्यमयी तहखाना खुलवाने की कोशिश की, उसके साथ अनहोनी जरूर होगी. लेकिन जांच कमेटी के मुताबिक ये वैज्ञानिक तथ्य नहीं. ये तहखाने सदियों से स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल होते रहे हैं, जैसे की मंदिर के 5 तहखाने थे, इन्हें खोला गया, तो कोई अनिष्ट नहीं हुआ, बल्कि अकूत खजाना ही बाहर आया.


खुले 5 तहखानों में क्या- क्या मिला


वॉल्ट-A


इस अकेले तहखाने  1 लाख 2 हजार किस्म के हीरे जवाहरात मिले


वॉल्ट- C


इस तहखाने में मिले जेवरातों की संख्या 1469 थी जबकि


वॉल्ट-D 


तीसरे तहखाने में 617 किस्म के हीरे जेवरात मिले


वॉल्ट E और F


सबसे कम 40 जेवरात चौथे और पांचवें तहखाने में मिले थे.


मंदिर में चढ़ाए गए थे भारी जेवरात


जांच टीम के मुताबिक मंदिर के 5 तहखानों से जो भी आभूषण बरामद हुए, वो मंदिर के लिए बनवाया गया खास चढ़ावा था. इसमें लंबी लंबी चेन, बड़े बडे सिंहासन और भगवान पद्मनाभ की भारी मूर्तियां थी. सोने और चांदी के साथ तमाम जेवरातों में हीरे जड़े थे. माना जाता है इसमें सोने की कई मुहरें ईसा पूर्व की भी थीं. यानी मंदिर के तहखानों में जेवरात जमा करने का सिलसिला ढाई हजार साल पुराना है. इसकी पूरी कीमत 1 लाख 32 हजार करोड़ की आंकी गई. इसके बावजूद जांच टीम ने फैसला किया, आखिरी तहखाना जस का तस रहने दिया जाए.


ये कोर्ट की गठित जांच कमेटी का फैसला था, पद्मनाभ मंदिर के आखिरी तहखाने का रहस्य जस का तस रहने दिया जाए. यही त्रावणकोर राजपरिवार की चाहत थी- कुछ रहस्यों को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए.