Lord Shiva Bhagwan Shanker Third Eye Secret: भगवान शंकर की लीला भी अद्भुत है और उनके नाम भी निराले हैं. यूं तो उनके हजारों नाम हैं और हर नाम के पीछे कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है. भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि जब वह माता पार्वती से विवाह के लिए लंबी चौड़ी भूत, प्रेत, पिशाच आदि की बारात लेकर निकले तो उनकी वेशभूषा को देखकर लोग भयभीत हो गए थे. भोलेनाथ तो कृपा निधान हैं और औघड़दानी और फक्कड़ स्वभाव के हैं. उन्होंने वस्त्र के रूप में व्याघ्र चर्म पहन रखा था. बदन पर टेलकम पाउडर के स्थान पर श्मशान की भभूति लगा रखी थी और गले में सोने की लॉकेट के स्थान पर सर्पों को लपटा लिया था. वह बारात में घोड़ी या बग्घी लेकर नहीं, बल्कि बैल की पीठ पर सवार होकर पहुंचे थे. इस वेशभूषा को देखकर पार्वती जी के पिता पर्वतराज हिमाचल के आम निवासी भी डर गए थे. 


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भगवान शिव भक्तों के लिए पूजनीय होने के साथ ही अचरज का भी विषय हैं. उनकी वेशभूषा, वाहन आदि की जिस तरह कई कहानियां हैं, उसी तरह उनकी तीसरी आंख की भी विशिष्ट कहानी है. इसी वजह से उनका एक नाम त्र्यंबकम भी है. उनकी कुल तीन आंखों में दाहिनी आंख सूर्य तथा बायीं आंख चंद्र का प्रतीक है. मस्तक पर बनी तीसरी आंख को अग्नि का स्वरूप माना जाता है. 


इनकी दो आंखें भौतिक जगत में उनकी सक्रियता का परिचायक हैं और तीसरी आंख सामान्य से परे की सूचक है. यह आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है. अग्नि की तरह ही भगवान शिव की तीसरी आंख पापियों को कहीं से भी खोज निकाल कर उन्हें नष्ट कर देती है. यही कारण है कि दुष्ट आत्माएं उनकी तीसरी आंख से भयभीत रहती हैं. उनकी आधी खुली आंख यह भी बताती है कि संपूर्ण जगत की प्रक्रिया चल रही है. ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव की तीसरी आंख खुलती है तो एक नए युग का सूत्रपात होता है. तीसरी आंख यह भी संकेत करती है कि सारे जगत की क्रिया न तो आदि है और न ही अंत, यह तो अनंत है.


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