नई दिल्ली: भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) जिन्होंने महाभारत (Mahabharat) युद्ध के दौरान अर्जुन के सारथी का किरदार निभाया था. महाभारत के इसी युद्ध में कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता (Geeta) का उपदेश दिया था. श्रीकृष्ण की इन बातों का अर्जुन पर ऐसा असर हुआ कि वह युद्ध भूमि में फिर से युद्ध करने और अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर चल पड़ा. 


प्रासंगिक हैं गीता के उपदेश


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अगर आप सोचते हैं कि भागवद् गीता सिर्फ एक धर्मग्रंथ है और उसमें केवल धर्म (Religion) से जुड़े उपदेश मौजूद हैं तो आप गलत हैं. गीता में लिखे भगवान कृष्ण के ये उपदेश न सिर्फ अनमोल हैं बल्कि आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक (Relevant) हैं. अगर आप गीता के इन उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करें तो इससे न सिर्फ आपका जीवन आसान हो जाएगा बल्कि सफलता (Success) हासिल करने में भी मदद मिलेगी.


(और पढ़ें- जानिए कैसे कृष्ण की गीता आपकी हर समस्या का समाधान कर सकती है)


बात चाहे खुद पर काबू रखने की हो, सामाजिक तौर पर किस तरह से व्यवहार करना चाहिए उसकी हो या फिर किसी तरह की भावनात्मक तकलीफ की हो- गीता में सभी का समाधान मौजूद है. इसमें कोई शक नहीं कि हम गीता के उपदेशों का पालन कर न सिर्फ अपना भला कर सकते हैं बल्कि समाज कल्याण में भी भागीदारी निभा सकते हैं. गीता में जीवन जीने के सार और सफलता पाने के लिए जो बातें बतायी गई हैं उनके बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं.


जीवन में भी अपनाएं गीता का ज्ञान


1. कल की चिंता न करें- गीता में लिखा है जो कल बीत चुका (Yesterday) और जो कल आने वाला है (Tomorrow) उसकी व्यर्थ चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि जो पहले से लिखा है और जो होना तय है वही होगा. कृष्ण कहते हैं जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा. इसलिए कल की चिंता छोड़कर हमें आज यानी वर्तमान (Today) पर अपना जीवन फोकस करना चाहिए और उसी का आनंद उठाना चाहिए.


2. गुस्से पर काबू रखें- भगवान कृष्ण कहते हैं काम, क्रोध और लोभ आत्मा का नाश कर देता है, इसलिए इन तीनों दोषों का समूल नाश कर देना चाहिए. गीता में कहा गया है कि क्रोध यानी गुस्से (Anger) से भ्रम उत्पन्न होता है और भ्रमित व्यक्ति अपने मार्ग से भटक जाता है और मनुष्य का पतन हो जाता है. इसलिए अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है. 


3. अच्छे-बुरे दोनों वक्त को स्वीकार करें- गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि दिन खत्म होने के बाद रात आती है, बहुत गर्मी के बाद एक सुखद मानसून आता है. ये बातें दिखाती हैं कि परिवर्तन (Change) ही संसार का नियम है और कोई भी वक्त हमेशा एक समान नहीं रहता. इसलिए अच्छा या बुरा समय, कोई वस्तु या बात के लिए दुखी होने की जरूरत नहीं क्योंकि इसमें बदलाव होना निश्चित है. जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करें.


(और पढ़ें- गीता में बताया गया है कि खाना बनाते और खाते समय रखें किन बातों का ध्यान)


4. नतीजे की चिंता न करें- गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य जैसा कर्म (Work) करता है उसके अनुरूप ही उस फल की प्राप्ति होती है. इसलिए अच्छे कर्मों को ही महत्व देना चाहिए. इसका अर्थ ये भी हुआ कि हर बार कोई काम करने से पहले उसके नतीजे की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि अगर आप सदकर्म (Good Work) कर रहे हैं तो उसका फल निश्चित ही आपको अच्छा मिलेगा. 


5. अपनी क्षमता की पहचान करें- गीता का उपदेश देते हुए भगवान कृष्ण कहते हैं कि हर व्यक्ति को आत्म मंथन करके अपनी पहचान करनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई व्यक्ति खुद को पहचान लेता है तभी वह अपनी क्षमता (Capability) की भी पहचान कर पाता है. किसी भी कार्य को करने के लिए अपनी क्षमता को जानना बेहद जरूरी होता है.


धर्म से जुड़े अन्य लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.