भारत को सुरक्षित रखने वाली सनातन चेतना का स्रोत : श्रीमद् भगवत् गीता

भारत पर हजारों वर्षों से विदेशी आततायियों के हमले हो रहे हैं. लेकिन भारत ना केवल इस कठोर संघर्ष में जीतता रहा है. बल्कि अपने मूल स्वरुप को भी बरकरार रखे हुए है. इस ताकत का स्रोत है श्रीमद् भागवत गीता. 

Written by - Anshuman Anand | Last Updated : Dec 11, 2020, 03:42 PM IST
  • गीता का ज्ञान भारत की ताकत
  • सनातन धर्म का मूल बीज है गीता
  • सदियों से भारत अपने आध्यात्मिक ज्ञान से ही टिका हुआ है
भारत को सुरक्षित रखने वाली सनातन चेतना का स्रोत : श्रीमद् भगवत् गीता

यूनान, मिस्र-ओ- रोमां, सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाकी, नामोनिशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

ये पंक्तियां भले ही उर्दू में हों. लेकिन ये हमारी प्राचीन सनातनी संघर्ष और उसकी जीत को बखूबी दर्शाती हैं. अपने धन-धान्य, संपत्ति और व्यवस्थित नगरीय पद्धति के कारण भारत हमेशा से पूरी दुनिया के कौतूहल का केन्द्र रहा है. भारत की व्यवस्थित उत्पादन क्षमता हजारों सालों से  बरकरार है. जिसकी वजह से भारत भूमि हमेशा संपत्ति से परिपूर्ण रही है. यहां का व्यापार सोने और चांदी में होता रहा है. आज भी भारत में सोना फिर से बहुतायत उपलब्ध है. 

लेकिन इसी संपत्ति की प्रचुरता के कारण भारत को विदेशी हमलों का सामना करना पड़ा. सदियों से विदेशी लोग व्यापारी या आक्रमणकारी के रुप में आए और भारत में समाहित होते चले गए. यह भारत भूमि पर फैले सनातन धर्म का प्रताप है. प्राचीन काल में भारत आने वाले विदेशी यहां की सभ्यता और संस्कृति को समझने आते थे और यहीं के होकर रह जाते थे. भारत के लोग भी खुले दिल से उनका स्वागत करते थे. 

लेकिन मध्यकाल में बर्बर इस्लामी और उसके बाद पश्चिमी ईसाई ताकतों के हमलों ने भारत को जबरदस्त झटका दिया. क्योंकि इनका हमला भारत की ताकत के केन्द्र सनातन धर्म पर था. यानी कि वह ताकत जो विदेशी हमलों से भारत की रक्षा करती आई थी और सनातनियों की ताकत का स्रोत है. 

मध्य काल में तो मजहबी आक्रमणकारियों ने अत्याचार की हदें पार कर दी थीं. केन्द्रीय सत्ता शक्ति नष्ट हो जाने से असुरक्षित सनातनी हिंदू संघर्ष करते रहे, मरते मिटते रहे. लेकिन अपने धर्म का त्याग नहीं किया.  क्योंकि उन्हें आत्मा की अमरता का रहस्य मालूम था. पापपूर्ण कृत्यों वाले मजहबों को स्वीकार अपनी चेतना को नष्ट करने से ज्यादा बेहतर भारतीय सेनानियों को मृत्यु को अंगीकार करना लगता था. 

भारत भूमि के अलावा ऐसा सर्वोच्च संघर्ष दुनिया के किसी कोने में नहीं हुआ. इसके लिए धन्यवाद है योगिराज श्रीकृष्ण और उनके महान गीता ज्ञान का. जिसने भारतीयों को कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करने की प्रेरणा दी. 

 महागुरु योगिराज कृष्ण ने हमें आत्मा की अमरता बताई, जिससे मृत्यु का भय छोड़कर हम सनातनी अपने धर्म की रक्षा के लिए लगातार संघर्षरत रहे.  धन-संपत्ति, परिवार, सम्मान, प्राण सबका मोह त्याग कर धर्म की रक्षा की.  क्योंकि गीता के महान ज्ञान का आलोक हमारा पथ प्रदर्शन कर रहा था.  गीता ने हमें सिखाया है कि मोक्ष की यात्रा में यह शारीरिक और मानसिक कष्ट मात्र क्षणिक पड़ाव है. हमें कई जन्म क्यों ना लेने पड़ें, लेकिन सत्य के लिए हमारा संघर्ष लगातार जारी रहना चाहिए.  

गीता का ज्ञान हमें संघर्ष के साथ लगातार विकास की ओर अग्रसर भी रखता है. क्योंकि कृष्ण की गीता ने हमें शांतिकाल में अपना कर्म करते हुए आगे बढ़ना और युद्धकाल में आखिरी सांस तक संघर्ष करना सिखाया है. 

भारत और सनातन धर्म कभी मिट नहीं सकते. क्योंकि गीता का उपदेश हमारे प्राणों में बसा है. यह हमारी चेतना का स्रोत है, जिसे कोई नहीं जीत सकता. इसके सामने आततायी महजबी कट्टरपंथी विचारों की संपूर्ण पराजय सुनिश्चित है. 

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