Vaikuntha Chaturdashi: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष महत्व माना जाता है. यह एक ऐसा दिन है जिस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और भगवान शिव की पूजा एक साथ पूरे विधि-विधान के साथ करते हैं. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.


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दूर हो जाते हैं सभी दुख


मान्यता के मुताबिक जो भी व्यक्ति बैकुंठ चतुर्दशी के दिन व्रत और पूजा करता है उसे जीवन भर दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है. इसके अलावा इस पूजा से व्यक्ति के कुंडली में जितने भी तरह के दोष होते हैं सभी धीरे-धीरे कर कट जाते हैं. तो आईए जानते हैं बैकुंठ चतुर्दशी के पूजा की विधि.


बैकुंठ चतुर्दशी पूजा की विधि


सबसे पहले बैकुंठ चतुर्दशी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें. उठकर स्नान करें और फिर साफ वस्त्र पहनें. इसके बाद जहां आप पूजा करना चाहते हैं वहां एक चौकी लगा दें. इस चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा दें. इसके बाद भगवान विष्णु और देवाधिदेव की तस्वीर रखें. इसके बाद घी का एकक दीपक जला दें और व्रत का संकल्प लें.


भगवान श्रीहरि विष्णु को कमल का फूल अर्पित करें


इसके बाद भगवान श्रीहरि विष्णु को कमल का एक फूल अर्पित करें. इसी के साथ वहां मौजूद भगवान शिव की प्रतिमा पर बेलपत्र चढ़ाएं. ये सभी कार्य हो जाने के बाद कम से कम 108 बार भगवान विष्णु जी के मंत्र ओम श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्। का जप करें। फिर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से भगवान शिव और विष्णु दोनों प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वर देते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)