Vastu for study room: पूरी दुनिया में शिक्षा को महत्व दिया जा रहा है, प्राचीन काल से भारत उच्च शिक्षा का केंद्र रहा है जहां पर विदेशों से भी छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे. तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला ऐसे ही शिक्षा के केंद्र थे जिन्होंने हजारों साल पहले संपूर्ण विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में अपनी ख्याति अर्जित की थी. इन विश्वविद्यालयों का वास्तु भी जबरदस्त था शायद वास्तु शास्त्र के नियमों को ध्यान में रख कर ही यहां के भवनों का निर्माण किया गया था, और वहां पर शिक्षा देने वाले गुरु भी इसके अच्छे ज्ञाता थे, तभी तो यहां पर पढ़ने वाले छात्र मेधावी होते थे. लेकिन विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण कर इन महत्वपूर्ण स्थलों को नष्ट करने का प्रयास किया जिसके परिणाम स्वरूप समय के साथ यह सारी बातें इतिहास का हिस्सा बन कर रह गयीं. 


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भारतीय वास्तु कला
आधुनिक काल में भी इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड, भारत में दिल्ली विश्वविद्यालय या वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आदि अनेकों उच्च शिक्षा के केंद्र वास्तु कला का अनुपम उदाहरण है जहां पर पढ़ने वाले मेधावी छात्रों ने पूरी दुनिया में नाम रोशन किया है. विश्व के तकनीकी और बौद्धिक विकास में इन केंद्रों का महत्वपूर्ण स्थान है. विश्व के विभिन्न भागों में वहां की भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्थितियों के चलते अलग अलग तरह के वास्तु विज्ञानों का जन्म हुआ. 


स्टडी रूम वास्तु शास्त्र
भारतीय उपमहाद्वीप में भारतीय वास्तु शास्त्र यहां की भौगोलिक स्थितियों के कारण सर्वाधिक अनुकूल है. जो विद्यार्थी इन नियमों का पालन करते हुए सही दिशा में अपना स्टडी रूम बनवाते हैं और उनमें भी सही दिशा में बैठकर पढ़ते हैं तो वह शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय सफलता प्राप्त करते हैं. मकान अथवा फ्लैट में उत्तर पूर्व की दिशा अर्थात ईशान कोण याद करना, दक्षिण पश्चिम का कोना में लिख-लिख कर पढ़ना के लिए सर्वोत्तम मानी गयी है. मकान में पढ़ने का कमरा इसी दिशा में बनाने के साथ पढ़ने के लिए कमरे में भी उत्तर पूर्व की दिशा को चुनना सर्वश्रेष्ठ रहता है. इस दिशा से पॉजिटिव एनर्जी भी मिलती है.    


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)