नई दिल्‍ली: पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं. यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस बार यह 22 मई को है. हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती भी मनाई जाती है. इस बार अमावस्या तिथि 21 मई 2020 को लगेगी और 22 मई को सुबह 11 बजे रहेगी.


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वट सावित्री का व्रत सावित्री द्वारा अपने पति सत्‍यवान के प्राणों की यमराज से रक्षा करने के लिए उपलक्ष्‍य में किया जाता है. माना जाता है कि यह व्रत करने से पति की उम्र लंबी होती है.  सावित्री से प्रसन्न होकर यमराज ने चने के रूप में सत्यवान के प्राण सौंपे थे. चने लेकर सावित्री सत्यवान के शव के पास आई और सत्यवान में प्राण फूंक दिए. इस तरह सत्यवान जीवित हो गए. तभी से वट सावित्री के पूजन में चना पूजन का नियम है. इसी के चलते वट सावित्री के दिन चने बिना चबाए सीधे निगले जाते हैं. साथ ही सावित्री द्वारा सत्‍यवान के प्राण बचाने की कथा भी सुनी जाती है. 


ऐसे रखते हैं व्रत 
वट सावित्री व्रत महिलाओं के द्वारा वट सावित्री व्रत त्रयोदशी से तिथि से ही प्रारंभ हो जाता है. हालांकि कुछ महिलाएं केवल अमावस्या के दिन ही यह व्रत करती हैं. इस दिन  महिलाएं सुबह-सवेरे स्नान करके पूरा श्रृंगार करती हैं. 


ये है व्रत की पूजन विधि 
व्रत की पूजन के लिए थाली में प्रसाद जिसमें गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, 5 प्रकार के फल, पान का पत्ता, धूप और घी का दीया लें. एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर बरगद पेड़ के नीचे बैठें. इसके बाद सबसे पहले बरगद के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाना चाहिए और फिर धूप,दीपक जलाएं, प्रसाद चढ़ाएं. इसके बाद इसकी परिक्रमा करनी चाहिए और कच्चे धागे से या मोली को 7 बार बांधे और प्रार्थना करें.  फिर पति के पैर धो कर आशीर्वाद लें.