Vat Savitri 2024: पहली बार रख रहे हैं वट सावित्री का व्रत तो भूलकर भी न करें ये काम, जान लें सही नियम
Vat Savitri Vrat Niyam: हिंदू धर्म में हर व्रत और तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. बता दें कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. अगर शादी के बाद आप भी पहली बार वट सावित्री व्रत रखने जा रही हैं तो इन नियमों को जान लें.
When is vat savitri vrat: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर तिथि और व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य प्राप्ति के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं.
धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन वट वृक्ष के नीचे यमराज ने माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाए थे. धार्मिक मान्यता है कि वट सावित्री का व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है और महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है. अगर आप शादी के बाद पहली बार वट सावित्री का व्रत रखने जा रही हैं, तो इन बातों का खास ख्ाल रखना बेहद जरूरी है.
वट सावित्री तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि का आरंभ 5 जून शाम 7 बजकर 54 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 6 जून 2024 शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगा.
बता दें कि वट सावित्री व्रत के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 6 जून सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक का समय शुभ बताया जा रहा है. बता दें कि व्रत 6 जून 2024 गुरुवार के दिन रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत के दिन न करें ये गलतियां
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रही हैं, तो इस दिन भूलकर भी बरगद की टहनियों को नहीं तोड़ना चाहिए. बरगद के पेड़ को मां सावित्री का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में इस दिन बरगद की टहनियों को तोड़ने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन महिलाएं सफेद, काले, नीले रंग के कपड़े भूलकर भी न पहनें. शास्त्रों में सुहाग की पूजा में इन रंगों का इस्तेमाल शुभ नहीं माना गया है.
- शादी के बाद अगर आप पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रही हैं, तो इस दिन पूजा के समय सुहाग का सभी सामान मायके से ही लेना चाहिए. इसके साथ ही, ऐसा भी कहा जाता है कि पहला वट सावित्री व्रत ससुराल में नहीं बल्कि मायके में करना चाहिए.
- इस दिन व्रत कथा अवश्य सुनें. इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि पूजा के दौरान बीच में उठकर कहीं न जाएं. इससे आपकी पूजा अधूरी रह जाती है.
- इस दिन पूजा में वट के वृक्ष पर कच्चे सूत का इस्तेमाल किया जाता है. इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि परिक्रमा करते समय अपना पैर दूसरों पर न लगने दें. वरना पूजा खंडित हो जाती है. अगर आप पूजा का पूर्ण फल पाना चाहते हैं, तो इन बातों का खास ख्याल रखें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)