Kichaka in Mahabharat: महाभारत कथा में कई ऐसी कहानियां हैं, जो बेहद रोचक हैं और कई रहस्‍यमयी पात्रों को समेटे हुए हैं. कीचक भी महाभारत का एक ऐसा ही पात्र है, जिसे भीम ने भयंकर मौत दी थी. कीचक बेहद क्रूर था, जिसका वध महाभारत युद्ध से पहले ही हो गया था. यह समय पांडवों के वनवास के दौरान का था, जब जुए में हारने के बाद 12 वर्ष तक पांडव वनवास भुगत रहे थे और जंगलों में भटक रहे थे. 


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राजा विराट की राजधानी में छिपे थे पांडव 


12 साल के वनवास के साथ-साथ पांडवों को एक साल अज्ञातवास में भी बिताना था. यदि कौरव उन्‍हें अज्ञातवास में ढूंढ लेते तो उन्‍हें फिर से 12 साल का वनवास भुगतना पड़ता. अज्ञातवास के दौरान पांडवों को मत्स्य नरेश विराट की राजधानी में छिपने का मौका मिल गया था. वहां पांडवों ने भेस बदलकर रहना शुरू कर दिया. युधिष्ठिर मत्स्य नरेश विराट के सलाहकार बन गए, भीम ने रसोइए का काम किया, अर्जुन बृहन्नला बनकर राजा विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्‍य सिखाने लगे. वहीं पांडवों की पत्‍नी द्रौपदी राजा विराट की पत्‍नी की दासी बन गईं. इस तरह सारे पांडव कोई ना कोई काम करते हुए वहां रहने लगे. 


कीचक ने द्रौपदी से की अभद्रता 


इसी दौरान राजा विराट के साले कीचक की कुदृष्टि द्रौपदी पर पड़ी और उसने द्रौपदी से अभद्रता की. द्रौपदी का अपमान करना कीचक को बहुत भारी पड़ गया. जब द्रौपदी ने ये बात अपने पति भीम को बताई तो भीम बेहद क्रोधित हुए और उन्‍होंने कीचक के वध का पूरा षड्यंत्र रचा. इसमें अर्जुन ने भी भीम का साथ दिया था. 


एक दिन भीम के कहने पर द्रौपदी कीचक को महल के ऐसे स्थान पर ले आई जहां कम ही लोग आते-जाते थे. वहां भीम पहले से ही छिपे हुए थे. कीचक को आते देखकर अर्जुन ने जोर-जोर से मृदंग बजाना शुरू कर दिया. फिर भीम ने कीचक पर हमला किया. कीचक और भीम के बीच युद्ध छिड़ गया लेकिन मृदंग की ध्वनि के कारण लड़ने की आवाज बाहर नहीं जा पाई. यहीं भीम ने कीचक का वध करके द्रौपदी के अपमान का बदला लिया. इसके बाद राजा विराट को पांडवों की असली पहचान पता चल गई और उन्‍होंने पांडवों का साथ दिया.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)