नई दिल्ली. महाभारत (Mahabharat) तो आपने जरूर देखी होगी. महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध लड़ा गया था. पांच पांडवों युधिष्ठिर (Yudhishtira), भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव ने अपने बल से कौरवों की विशाल सेना को पराजित कर दिया था. पांचों पांडवों के बीच बेहद स्नेह था.


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बड़े भाई युधिष्ठिर का चारों भाई बहुत सम्मान करते थे. लेकिन एक बार भीम (Bheem) अपने बड़े भाई युधिष्ठिर पर इतना ज्यादा क्रोधित हो गए  थे कि उनके दोनों हाथ जला देने के लिए तैयार हो गए थे. आइए आपको बताते हैं कि आखिर किस वजह से गदाधारी भीम को इतना गुस्सा आया था.


द्रौपदी को जुए में हारना


दरअसल, युधिष्ठिर अपना सब कुछ कौरवों से जुए में हार गए थे. आखिर में युधिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया था और वे उनको भी हार गए थे. इसके बाद कौरव ने द्रौपदी का भरी सभा में चीरहरण (Cheer Haran) और अपमान किया था. यह सब देखकर भीम आगबबूला हो उठे थे.


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उन्होंने युधिष्ठिर से कहा था, -‘आप जुए में सब कुछ हार गए. इसका मुझे कोई अफसोस नहीं है लेकिन आपने द्रौपदी को दांव पर लगाया और उसे भी हार गए. इस बात से मैं बहुत क्रोधित हूं.' भीम ने उन्हें द्रौपदी के अपमान का जिम्मेदार ठहराया था और इसीलिए युधिष्ठिर के दोनों हाथ जला देने को तैयार हो गए थे, जिनसे उन्होंने द्रौपदी को जुए में हारा था.


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अर्जुन ने किया भीम को शांत


भीम के क्रोध को अर्जुन ने शांत करवाया था. अर्जुन कहते हैं कि बड़े भाई युधिष्ठिर ने क्षत्रिय धर्म निभाया है और उसी के अनुसार जुआ खेला है. इसमें उनका तनिक भी दोष नहीं है. यह सुनकर भीम कहते हैं - मैं जानता हूं कि युधिष्ठिर ने क्षत्रिय धर्म के अनुसार ही जुआ खेला है. अगर मैं यह बात नहीं जानता तो पहले ही अपने बल से युधिष्ठिर के दोनों हाथ जला देता.


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