Asteroid could destroy earth: लंदन के बिग बेन टावर से भी बड़ा एक क्षुद्रग्रह (Asteroid) तेजी से धरती की ओर बढ़ रहा है. जिसके बाद एक बार फिर से दुनिया में बड़ी अनहोनी की आशंका जताई जा रही है. हालांकि अभी तक ये पता नहीं चल सका है कि Asteroid दुनिया के किस हिस्से से टकराएगा. 


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खतरे का नाम 2008 RW


इसे वैज्ञानिकों ने 2008 RW नाम दिया है. ये कई सालों से चक्कर लगा रहा है. हर तीन से चार हफ्ते में ये धरती के नजदीक से होकर गुजरता है. कहा जा रहा है कि इस बार सितंबर में ये जरुरत से ज्यादा नजदीक से गुजर सकता है. यानी अगर धरती के गुरुत्वाकर्षण ने इसे अपनी और खींचा, तो ये बड़ी तबाही मचा सकता है. इस Asteroid का नाम 2008 RW है. ये काफी बड़ी चट्टान केवल तीन या चार साल में एक बार धरती के करीब आती है. लेकिन इसका नवीनतम फ्लाईबाई (पृथ्वी की कक्षा के करीब आना) पहले से कहीं ज्यादा करीब होने वाला है और यह धरती की कक्षा में दुर्घटनाग्रस्त होने के लिए तैयार है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये भारतीय समय के अनुसार 13 सितंबर को करीब 1.50 बजे धरती की कक्षा में प्रवेश करने के लिए तैयार है. ये Asteroid आगे चलकर 10 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से आगे बढ़ सकता है.


नासा की मामले पर नजर


'द डेली स्टार' में प्रकाशिक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 160 मीटर लंबे Asteroid 2008 RW के मूवमेंट पर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) की पैनी नजर बनी हुई है. वैज्ञानिकों ने ये भी बताया है कि Asteroid धरती से करीब 6.7 मिलियन किलोमीटर की दूरी से सफर करके हमारे नजदीक आ रहा है. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि अगर ये पृथ्वी से टकराता है तब इसकी लैंडिंग कहा होंगी. इसकी तीव्रता को देखते हुए इसे एजेंसी नासा ने इस घटनाक्रम को अपनी निगरानी सूची में रखा है. 


एजेंसी का बयान


नासा के मुताबिक Asteroid 2008 RW की खोज 02 सितंबर, 2008 को हुई थी. यह 1023 दिनों में सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी करता है. पृथ्वी से क्षुद्रग्रह 2008 आरडब्ल्यू की दूरी वर्तमान में 51.63 मिलियन किलोमीटर है, जो 0.35 खगोलीय इकाइयों के बराबर है. प्रकाश को क्षुद्रग्रह 2008 RW से यात्रा करने और धरती में हमतक आने में दो मिनट और 52 सेकंड का समय लगता है. इस क्षुद्रग्रह का सटीक आकार स्पष्ट नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक इसका क्षेत्रफल 73 मीटर से लेकर 164 मीटर तक हो सकता है. जो लंदन के बिग बेन और भारत के ताजमहल से दोगुना ऊंचा होगा.