रिसर्चर्स ने 50 करोड़ साल पुराने फॉसिल की खोज की है. यह एक सूक्ष्म, कृमि जैसे प्राणी का अवशेष है. इस पर रिसर्च के जरिए, वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि सबसे बड़े प्राणी समूह का मस्तिष्क किस प्रकार विकसित हुआ. 'नेचर' पत्रिका में बुधवार को छपी स्टडी के अनुसार, यह प्राणी अपने विकास के शुरुआती दौर में, लार्वा स्टेज में ही मर गया था.


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यह जीवाश्म एक नई प्रजाति का है जिसका नाम यूटी युआनशी है. ये जीव कैम्ब्रियन समुद्र में रहते थे और उन्होंने कीड़ों, मकड़ियों और केकड़ों जैसे जीवित आर्थ्रोपोड्स को जन्म देने में मदद की. रेत के एक दाने के आकार के होने के बावजूद, यह जीवाश्म असाधारण रूप से अच्छी तरह से संरक्षित है. इससे पता चली जानकारी हमें यह समझाने में मदद करती है कि आर्थ्रोपोड्स ने जटिल मस्तिष्क कैसे विकसित किया.


लार्वा का जीवाश्म मिलने की उम्मीद नहीं थी!


स्टडी के मुख्य लेखक मार्टिन स्मिथ हैं जो यूके की डरहम यूनिवर्सिटी में जीवाश्म विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. स्मिथ ने एक बयान में कहा, 'जब मैं उस जीवाश्म के बारे में सोचता था जिसे मैं सबसे अधिक खोजना चाहता था, तो मैं हमेशा एक आर्थ्रोपोड लार्वा के बारे में सोचता था, क्योंकि विकास संबंधी डेटा उनके विकास को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन लार्वा इतने छोटे और नाजुक होते हैं, कि एक जीवाश्म मिलने की संभावना व्यावहारिक रूप से शून्य है - या ऐसा मैंने सोचा था!'


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नतीजे देख दंग रह गए रिसर्चर्स


रिसर्चर्स ने इस फॉसिल को चीन युन्नान प्रांत में युआनशान चट्टान संरचना से बरामद किया. उन्होंने फॉसिल को एक्स-रे से स्कैन करके इसकी आंतरिक संरचनाओं की आभासी 3डी तस्वीरें बनाईं. स्टडी के मुताबिक, इन तस्वीरों से मस्तिष्क और आदिम परिसंचरण तंत्र का पता चला, जिसमें लार्वा के पैरों और आंखों की नसों के निशान भी शामिल हैं.


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स्मिथ ने कहा, 'मैं पहले से ही जानता था कि यह साधारण कृमि जैसा फॉसिल कुछ खास है, लेकिन जब मैंने इसकी त्वचा के नीचे संरक्षित अद्भुत संरचनाओं को देखा, तो मैं दंग रह गया - कैसे ये जटिल संरचनाएं क्षय से बची रहीं और आधे अरब साल बाद भी देखने लायक हैं?'