नई दिल्लीः अब तक सारी गर्भ निरोधक दवाएं सिर्फ महिलाओं के लिये ही उपलब्ध हैं। लेकिन जापानी रिसर्चर्स ने ऐसी दवा बनाने का दावा किया है जो पुरुष बतौर गर्भ निरोधक दवाइयों के रुप इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।


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साइक्लोस्पोरिन ए और एफके506 का इस्तेमाल प्रायः अंग प्रत्यारोपण के दौरान नए अंग विकसित होने से रोकने के लिये किया जाता है। इससे पहले रिसर्च में पाया गया था कि यह दवा केल्सिन्यूरिन नामक एंजाइम को बाधित कर शुक्राणुओं के विकास और गतिशीलता को रोकती है।


ओसाका यूनिवर्सिटी के रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर माइक्रोबाइल डिजीज में एक टीम ने चूहों पर किये एक शोध में केल्सिन्यूरिन में दो प्रोटीन पीपीपी3सीसी और पीपीपी3आर2 को निशाना बनाया जो गर्भनिरोधक के तौर पर काम कर सकते थे।


रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद रिसर्चर्स ने एक चूहे लिया जो पीपीपी3आर2 का कम निर्माण करता हो और पीपीपी3सीसी बनाने में अक्षम हो। फिर इस चूहे ने एक चूहियां के साथ सेक्स किया। इसके बाद पाया गया कि चूहियां प्रेगनेंट नहीं हुई थी।


कई बार परीक्षण के बाद टीम ने पाया कि चूहे द्वारा बनाये गये शुक्राणु मादा अंडों के आसपास बनी झिल्ली में नहीं घुस सकते। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि चूहे की शुक्राणु कोशिका सामान्य शुक्राणु की तरह उसकी पूछ हिलाने में सक्षम नहीं थी।


इसके बाद साइक्लेस्पोरिन ए और एफके506 को सामान्य चूहों पर प्रयोग करके देखा गया। फिर पाया गया कि जिन चूहों को दवा दी गई थी वे दो सप्ताह के लिये अनुपजाऊ हो गये और ट्रीटमेंट रोके जाने के एक सप्ताह बाद फिर से उपजाऊ बन गये। साइक्लोस्पोरिन को काम करने के लिये पांच दिन की जरूरत होती है, जबकि एफके506 को सिर्फ चार ही दिन लगते हैं।


अध्ययन के बाद टीम ने लिखा है, 'चूहों में परिणामों को देखते हुए शुक्राणु कैल्सिन्यूरीन पुरुषों के लिए प्रतिवर्ती और तेजी से काम करने वाले गर्भनिरोधकों के लिये भी एक लक्ष्य हो सकता है।'