Science News: आसमान से धरती की तरफ एक बहुत बड़ा उल्कापिंड बढ़ रहा है. खतरा बहुत बड़ा है. इसरो इस खतरे की निगरानी कर रहा है. अब मुद्दे की बात और सवाल ये है कि इस उल्कापिंड से कैसे बचेगी धरती?  सब ये पूछ रहे हैं कि प्रलय का 'देवता' धरती के कितना करीब पहुंचा? धरती से ये 'काल' कब टकराएगा? कुछ लोग इसे पूरी मानवता के लिए 'खतरा' बता रहे हैं.


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बेहद करीब पहुंचा!


उल्कापिंड, अंतरिक्ष में मौजूद पत्थर का एक बड़ा टुकड़ा जो किसी ग्रह को तबाह करने की पूरी ताकत रखता है. उल्कापिंड यानी अंतरिक्ष का वो रहस्यमयी सच जिसे लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिकों का शोध जारी है. अब ऐसा ही एक उल्कापिंड तेजी से पृथ्वी की तरफ बढ रहा है. उल्कापिंड की रफ्तार क्या है? उल्कापिंड कब तक पृथ्वी से कब टकराएगा. उल्कापिंड से धरती को क्या नुकसान हो सकता है. ये वो सारे सवाल हैं. जिसे लेकर रिसर्च जारी है. लेकिन उल्कापिंड के करीब आने की खबर से पूरी दुनिया में हलचल है. मानवता को सदियों से जिस बात का डर है.


एक बार फिर उसके पृथ्वी से टकराने की खबरें क्या सच में डराने वाली है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक विशाल उल्कापिंड धरती के करीब आ रहा है. जिसका नाम एपोफिस है. ISRO इस उल्कापिंड की निगरानी कर रहा है. जिसके पृथ्वी के बहुत करीब आने की संभावना है. इस एस्टेरॉयड का नाम मिस्र के विनाश के देवता के नाम पर रखा गया है. जानकारी के मुताबिक 13 अप्रैल 2029 को ये उल्कापिंड पृथ्वी के सबसे करीब होगा. 


हालांकि अभी उस खतरे को लेकर कोई पुख्ता दावा नहीं किया गया है. लेकिन धरती पर कोई खतरा नहीं है. इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ISRO ने कहा है कि एक बड़ा एस्टेरॉयड  मानवता के लिए खतरनाक हो सकता है. इसरो ऐसे खतरे को लेकर अलर्ट है. नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस यानी NETRA एपोफिस की बहुत बारीकी से निगरानी कर रहा है.ऐसे खतरे से निपटने के लिए बाकि देशों से भी मदद ली जा सकती है. हालांकि उल्कापिंड को अभी धरती के सबसे करीब बताया जा रहा है.


7 साल तक रहेगा खतरा?


दरअसल, एपोफिस को पहली बार 2004 में खोजा गया था. 2029 में ये पृथ्वी के सबसे करीब आएगा और फिर 2036 में दूसरी बार करीब आएगा. यही वजह है कि इसके धरती पर प्रभाव को लेकर कई सवाल हैं.कुछ स्टडी में दावा है कि 2029 में ये पृथ्वी के करीब आकर निकल जाएगा.और इसकी टक्कर की संभावना नहीं है. लेकिन अंतरिक्ष में जारी इस हलचल को लेकर कोई पुख्ता दावा नहीं किया जा रहा है. ऐसे में उल्कापिंड या कहें प्रलय के इस देवता को लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.