Science News in Hindi: एस्ट्रोनॉमर्स ने पृथ्‍वी से सिर्फ 635 प्रकाश वर्ष दूर स्थित रहस्यमय चंद्रमा का पता लगाया है. इस चंद्रमा पर ज्वालामुखियों की भरमार है. इस चंद्रमा पर सोडियम के विशाल बादल मिले हैं जो ज्वालामुखीय गतिविधि का संकेत देते हैं. यह चंद्रमा WASP-49b नामक एक्सोप्लैनेट की परिक्रमा करता है. यह एक्सोप्लैनेट एक पीले बौने तारे WASP-49 के चक्कर लगाता है.


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कैसे पता चला इस चंद्रमा पर ज्वालामुखी हैं...


WASP-49b एक गैस दानव है यानी यहां पर ज्वालामुखी होने की संभावना न के बराबर है. सोडियम के बादलों की मौजूदगी भी एक्सोप्लैनेट की कक्षा से मेल नहीं खाती. ऐसे में वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि WASP-49b का एक चट्टानी, ज्वालामुखीय चंद्रमा है. कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Caltech) की एस्ट्रोफिजिसिस्ट अपूर्व ओजा के मुताबिक, 'हमें लगता है कि यह बेहद महत्वपूर्ण सबूत है. यह बादल उसके विपरीत दिशा में घूम रहा है, जबकि भौतिकी के अनुसार अगर यह ग्रह के वायुमंडल का हिस्सा होता तो दूसरी दिशा में घूमता.'


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सौरमंडल के बाहर क्यों नहीं मिलते चंद्रमा?


ऐसा माना जाता है कि हमारी आकाशगंगा में असंख्य चंद्रमा हैं. अपने सौरमंडल में ही आठ ग्रहों के मुकाबले उनके 300 से ज्यादा चंद्रमाओं का पता लगाया जा चुका है. सौरमंडल से परे चंद्रमाओं की खोज बेहद मुश्किल है. एक्सोप्लैनेट्स खोजना ही बड़ा जटिल है, और उनके चंद्रमा इतने छोटे होते हैं कि उनका पता नहीं लग पाता.


2017 के एक रिसर्च पेपर में बताया गया कि WASP-49b के वायुमंडल में सोडियम की मोटी परत मौजूद है जो इसके बादलों से कहीं अधिक ऊंचाई पर है. 2019 में ओजा और उनके सहयोगियों ने एक रिसर्च पेपर में कहा कि यह सोडियम एक्सोप्लैनेट से नहीं, बल्कि उसकी परिक्रमा करने वाले एक एक्सोमून से पैदा हुआ है. यह चंद्रमा बृहस्पति के चंद्रमा Io से भी अधिक ज्वालामुखीय है.


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कैसे लगा इस चंद्रमा का पता?


ओजा और उनकी टीम ने यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरी के 'वेरी लार्ज टेलीस्कोप' का इस्तेमाल किया. उन्होंने पाया कि सोडियम का बादल लगातार मौजूद नहीं रहता, बल्कि अनियमित अंतराल पर आता-जाता रहता है और एक्सोप्लैनेट व तारे के पीछे गायब हो जाता है. तटस्थ सोडियम कुछ ही मिनटों में फोटोआयनीकृत हो जाता है, यानी यह किसी तारे के आस-पास लंबे समय तक चार्ज हुए बिना नहीं रह सकता. चूंकि टीम ने जो सोडियम पाया है वह तटस्थ है, इसका मतलब है कि इसका उत्पादन निरंतर हो रहा है.


टीम ने कंप्यूटर मॉडलिंग की मदद से तय किया कि देखा गया संकेत, WASP-49b की परिक्रमा करने वाले ज्वालामुखीय एक्सोमून के साथ सबसे अधिक सुसंगत है, जो लगभग हर आठ घंटे में एक बार परिक्रमा करता है. चूंकि यह अपने ग्रह के काफी करीब है, ऐसे में एक दिन इस चंद्रमा के WASP-49b पर गिर जाने की संभावना है. नई रिसर्च के नतीजे The Astrophysical Journal Letters में छपे हैं.


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