इंसानों के लिए अंतरिक्ष में आना-जाना आसान बना देगा चमगादड़ का खून! रिसर्च में हाथ लगी बड़ी चीज
अंतरिक्ष में जाने के लिए इंसानों तरह-तरह के जतन और रिसर्च कर रहा है. स्पेस एजेंसियां स्पेस ट्रेवल को और बेहतर बनाने की दिशा में हर दिन अहम कदम उठा रही हैं. इस बीच खबर आ रही है कि चमगादड़ का खून भी अब अंतरिक्ष यात्रा को आसान बना सकता है. जानिए कैसे?
पिछले कुछ वर्षों से अंतरिक्ष को लेकर इंसानों में काफी दिलचस्पी बढ़ गई है. अंतरिक्ष यात्रा के बारे में बातचीत पहले कभी इतनी ज़ोरदार नहीं रही जैसी मौजूदा समय में है. इंसान चांद, मंगल और उससे भी आगे जाने की जिद्दोजहद में लगा हुआ है, लेकिन क्या यह मुमकिन है? समस्या सिर्फ़ अंतरिक्ष यान के इर्द-गिर्द तकनीक को आगे बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि यह भी है कि इंसान की शरीर अंतरिक्ष की मुश्किल परिस्थितियों के अनुकून नहीं बना. जहां रेडिएशन और नींद समेत कई तरह की खतरनाक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
क्यों खास है चमगादड़ का खून?
इंसान के लिए अंतरिक्ष की यात्रा के दौरान सोने के लिए समाधान हो सकता है. अब वैज्ञानिकों का कहना है कि सोते हुए अंतरिक्ष में सफर करने की चाबी हाथ लग गई है. इसके लिए चमगादड़ के खून का जिक्र किया जा रहा है. दरअसल चमगादड़ लंबे समय तक बेहद ठंडी जगहों पर रहने के लिए जाना जाती है. जर्मनी के ग्रिफ़्सवाल्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने खुलासा किया है कि इसका मुख्य कारण इसके शरीर में एरिथ्रोसाइट नामक एक प्रकार की लाल रक्त कोशिका की मौजूदगी है.
इंसानों के खून में भी होते हैं एरिथ्रोसाइट्स
हालांकि एरिथ्रोसाइट्स इंसान के खून में भी मौजूद होते हैं लेकिन वे ठंड के प्रति उसी तरह प्रतिक्रिया नहीं करते हैं, जैसे वे चमगादड़ के खून में करते हैं. शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों की दो प्रजातियों के एरिथ्रोसाइट्स की तुलना की, जो ठंडे के दौरान हाइबरनेट करने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे तापमान गिरता गया, चमगादड़ों के एरिथ्रोसाइट्स सामान्य और लचीले बने रहे. हालांकि सामान्य से कम शरीर के तापमान पर ह्यूमन एरिथ्रोसाइट्स ज्यादा चिपचिपे और कम लचीले हो गए.
'अहम कदम लेकिन अभी दूर की कौड़ी'
जबकि वैज्ञानिकों ने चमगादड़ के खून में खास विशेषता की पहचान की है, वे इसे मनुष्यों के मामले में अंतरिक्ष की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए कैसे लागू करने की योजना बना रहे हैं, यह अभी भी मुश्किल है और इसे इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए अभी कई और वर्ष लग सकते हैं. यही कारण है कि रिसर्च के प्रमुख लेखक गेराल्ड केर्थ ने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह अभी भी दूर की कौड़ी है. अंतरिक्ष उड़ान के दौरान इंसानों को कम तापमान की स्थिति में रखने के फायदे हैं.
कितना समय लग सकता है?
गोराल्ड ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह कितने वर्षों में संभव होगा लेकिन यह एक अहम पहला कदम है. उन्होंने आगे कहा,'अगर वैज्ञानिक किसी दिन इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने में सफल हो जाते हैं, तो इससे अंतरिक्ष यात्रा को वास्तविकता बनाने में मदद मिलेगी. अंतरिक्ष यात्रियों को मुश्किल यात्राओं में जीवित रहने के लिए उतने संसाधनों और ऑक्सीजन की ज़रूरत नहीं होगी. जिससे ब्रह्मांडीय दुनिया के बारे में और जानकारी हासिल करने में सक्षम होंगे.'