Chandrayaan-2: इस मिशन की 10 प्रमुख बातें जो आपको जान लेनी चाहिए
इस मिशन की कुल लागत 978 करोड़ रुपये है. इसमें कुल 14 पेलोड होंगे. इनमें से 13 ISRO के और एक NASA का पेलोड होगा.
नई दिल्ली: चंद्रयान-2 मिशन के लिए काउंटडाउन जारी है. इस मिशन पर पूरी दुनिया की नजर है. इसके सफल होने पर अंतरिक्ष की दुनिया में भारत एक नया कीर्तिमान हासिल करेगा. चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को सुबह 2.51 बजे होगी. ISRO ने कहा कि भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV MK-3 से चंद्रयान को लॉन्च किया जाएगा. पृथ्वी की कक्षा में यह 16 दिनों तक घूमता रहेगा. 21 दिनों बाद यह चंद्रमा की कक्ष में पहुंच जाएगा. 27 दिनों तक चांद की कक्षा में चक्कर काटने के बाद यह वहां लैंड करेगा. आइये इस मिशन को लेकर 10 प्रमुख बातों को जानते हैं.
1. चंद्रयान-2 को ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) लॉन्च कर रहा है. इसे रॉकेट GSLV MK-3 से लॉन्च किया जाएगा. लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान है.
2. इस मिशन की सबसे बड़ी खासियत है कि पहली बार चांद के दक्षिणी हिस्से के बारे में जानने की कोशिश हो रही है. अब तक सभी मिशन उत्तरी हिस्से के लिए था. दक्षिणी सतह से दुनिया पूरी तरह अनजान है. चांद का जो हिस्सा दिखता है वह उत्तरी सतह है. दक्षिणी सतह पर पूरी तरह अंधेरा है.
3. इस मिशन को पूरा होने में करीब-करीब 54 दिनों का वक्त लगेगा. चंद्रयान को 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करनी है.
4. पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलते ही रॉकेट चंद्रयान-2 से अलग हो जाएगा. हालांकि, 16 दिनों तक यह यान पृथ्वी की कक्षा में घूमता रहेगा.
5. पृथ्वी की कक्षा से निकलने के बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में चंद्रयान को पांच दिन लगेंगे.
6. चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद यह यान 27 दिनों तक उसकी कक्षा में चक्कर लगाते हुए सतह की ओर बढ़ेगा. 6 सितंबर को इसके चांद पर उतरने की उम्मीद है
7. इस मिशन की कुल लागत 978 करोड़ रुपये है. इसमें कुल 14 पेलोड होंगे. इनमें से 13 ISRO के और एक NASA का पेलोड होगा.
8. दक्षिणी सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर (विक्रम) का दरवाजा खुलेगा और रोवर (प्रज्ञान) उससे बाहर निकलेगा. इस प्रक्रिया में चार घंटे का वक्त लगेगा. रोवर के सतह पर आने के 15 मिनट बाद ISRO को वहां की तस्वीर मिलनी शुरू हो जाएगी.
9. चांद की सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर और रोवर वहां 14 दिनों तक एक्टिव रहेंगे. इस दौरान रोवर सेंटीमीटर/सेकंड की गति से चांद की सतह पर चलेगा.
10. सबसे पहले 2008 में तत्कालीन UPA सरकार ने इस मिशन को मंजूरी दी थी. 2009 में डिजाइन तैयार कर लिया गया था. पहले इसे 2013 में लॉन्च किया जाना था. रूस द्वारा लैंडर नहीं मिलने पर इसे अप्रैल 2018 तक टाल दिया गया था. उसके बाद कई बार लॉन्च करने का फैसला टाला गया और आखिरकार 15 जुलाई 2019 को अब इसे लॉन्च किया जाएगा. पिछले दिनों अप्रैल में भी खबर आई थी कि इस मिशन को लॉन्च किया जाएगा.