नई दिल्ली: देश भर में कोरोना (Coronavirus) का संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. देश के शीर्ष वैज्ञानिकों ने बताया कि कोरोना वायरस (Coronavirus Update) का डबल म्यूटेंट (Double Mutant) बी.1.617 तीन अलग-अलग भाग में बंट चुका है. लेकिन अभी ये वायरस का डबल म्यूटेंट देश के कुछ हिस्से में जैसे महाराष्ट्र और कुछ-कुछ देश के दूसरे हिस्सों में भी मिला है. सबसे खास ये है कि वायरस जब भी अपना रूप बदलता है तो कई बार पहले से ज्यादा खतरनाक हो जाता है. वैज्ञानिकों ने इसके बारे में विस्तार से बताया है.


डबल म्यूटेंट अब तीन रूप में 


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हैदराबाद (Hyderabad) के शीर्ष वैज्ञानिकों ने बताया कि डबल म्यूटेंट के तीन रूप को बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 में बांटा गया है. सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मॉलिक्युलर बायॉलजी (Center for Cellular and Molecular Biology) के प्रसिद्ध वैज्ञानिक दिव्या तेज (Divya Tej Sopati)  सोपती की मानें तो वायरस के डबल म्यूटेंट के ये तीनों रूप महामारी को बढ़ाने में कितने जिम्मेदार हैं ये अभी नहीं कहा जा सकता है. लेकिन ये जरूर है कि डबल म्यूटेंट बी.1.167 तीन रूपों में विभाजित हो चुका है.


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ये बातें जानना है जरूरी 


दिव्बीया ने बताया कि बी .1.167.1 विभाजित वर्ग का सबसे बड़ा रूप है जिसके अंदर म्यूटेशन के दोनों तत्व- एल452आर और ई484क्यू मौजूद हैं. इसके अलावा इसमें म्यूटेशन का तीसरा तत्व वी382एल भी शामिल है. दिव्या ने बी.1.167.2 के संदर्भ में कहा कि इसमें ई484क्यू नहीं है. वहीं, बी.1.167.3 में मूल रूप से बी.1.596 के तत्व हैं जो म्यूटेशन एन:पी67एस की वजह से आया है. 


ट्रिपल म्यूटेंट है क्या?


वैज्ञानिकों के अनुसार, इसमें कई म्यूटेशन हैं. इसे ट्रिपल म्यूटेशन इसलिए कहते हैं क्योंकि दो म्यूटेशनों के अलावा इसकी स्पाइक में वी382एल भी है. यह बी.1.167 का ही रूप है जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कुछ-कुछ अन्य राज्यों में पाया गया. उन्होंने कहा कि ट्रिपल म्यूटेंट के अब तक के व्यवहार से पता चलता है कि यह संभवतः कम खतरनाक है.


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डबल म्यूटेंट सामने आई जबरदस्त जानकारी


वैज्ञानिकों के मुताबिक, महाराष्ट्र और केरल के अलावा डबल म्यूटेंट तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी मौजूद है जहां 5 से 10 प्रतिशत कोरोना मरीजों में इसका असर दिखता है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में तो हाल के 70% मरीज वायरस के डबल म्यूटेंट से ही संक्रमित हैं. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत में हुए संक्रमण की तेज दर, मृत्यु दर और गंभीर लक्षणों वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि के पीछे नए म्यूटेंट की पुष्टि के लिए और अध्ययन की जरूरत है.


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