Greenland Ice Sheet Melting: दुनिया भर के वैज्ञानिक climate change को लेकर सालों से लोगों को आगाह करते आ रहे हैं. हमने पर्यावरण का इतना दोहन किया है और अभी भी कर रहे हैं कि उसके दुष्परिणाम अब तेजी से हमारे सामने आना शुरू हो गए हैं. कहीं किसी शहर की जमीन से पानी खत्म हो गया है, तो किसी जगह की हवा में सांस लेना दुश्वार हो गया है. इसी क्रम में 'नेचर क्लाइमेट चेंज' नाम के जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट से जो बात सामने आई है, उसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है. 


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तेजी से पिघल रही है ग्रीनलैंड बर्फ


नेचर क्लाइमेट चेंज में सोमवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि ग्रीनलैंड की बर्फ तेजी से पिघल रही है. यदि जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रातों रात रोक भी दिया गया, तो भी तेजी से पिघल रही ये बर्फ की चादर समुद्र के जलस्तर को लगभग एक फुट तक बढ़ा देगी. जिसकी वजह से दुनिया भर के समुद्र तटीय इलाके जल समाधि ले लेंगे. रिसर्च में बताया गया कि सदी के अंत तक बर्फ के कुल आयतन का लगभग 3.3 फिसदी हिस्सा पानी में बदल जाएगा और ये बर्फ करीब 110 ट्रिलियन मीट्रिक टन के बराबर है. जिससे समुद्र का स्तर करीब 27 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा. 


प्रोफेसर जेसन बॉक्स ने किया शोध का नेतृत्व 


इस शोध में बताया गया कि यह पहले के अनुमान के दोगुने से भी ज्यादा है. इस शोध कार्य का नेतृत्व डेनमार्क और ग्रीनलैंड (गेउस) के राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (National Geological Survey of Denmark and Greenland Geus) के प्रोफेसर जेसन बॉक्स (Professor Jason Box) ने किया है. वैज्ञानिकों ने पिघलती बर्फ को उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया है, जो समुद्र तटीय इलाकों में रहते हैं. आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने इस शोध में satellite measurements तकनीकी का इस्तेमाल किया है.


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