चंद्रमा किसी चीज के पृथ्वी से टकराने पर नहीं बना! नई रिसर्च दे रही विज्ञान की बनी-बनाई समझ को चुनौती
How Moon Was Formed: लंबे समय से यह माना जाता रहा कि करोड़ों साल पहले, कोई बड़ा पिंड पृथ्वी से टकराया तो चंद्रमा बना था. हालांकि, एक नई रिसर्च में इस सिद्धांत को पुष्ट करता कोई सबूत नहीं मिला.
Science News in Hindi: चंद्रमा हमारे ग्रह, पृथ्वी का इकलौता प्राकृतिक उपग्रह है. यह करीब 3,84,000 किलोमीटर दूर से धरती की परिक्रमा करता है. चंद्रमा से लिए गए नमूनों की आइसोटोप डेटिंग से पता चलता है कि इसका निर्माण सौरमंडल की उत्पत्ति के लगभग 50 मिलियन साल बाद हुआ था. लेकिन यह बना कैसे, इस बारे में कोई सर्वमान्य सिद्धांत नहीं है. वैज्ञानिकों ने तमाम सिद्धांत सामने रखे, लेकिन उनमें से कोई भी पृथ्वी-चंद्रमा के सिस्टम को पूरी तरह नहीं समझा पाता.
सबसे प्रसिद्ध सिद्धांत कहता है कि अरबों साल पहले, मंगल ग्रह जितनी बड़ी कोई चीज पृथ्वी से टकराई, जिससे अंतरिक्ष में ढेर सारी धूल फैल गई. इस धूल ने आखिरकार इकट्ठा होकर चंद्रमा का निर्माण किया. लेकिन एक नई स्टडी इस सिद्धांत पर सवाल खड़े करती है.
'धरती के मेंटल और चंद्रमा की चट्टानों में कोई अंतर नहीं'
स्विट्जरलैंड के ETH ज्यूरिख में प्लैनेटरी साइंटिस्ट पाओलो सोस्सी को रिसर्च में ऊपर बताए गए टकराव का कोई सबूत नहीं मिला. सोस्सी ने साइंसअलर्ट से बातचीत में कहा, 'पृथ्वी के मेंटल और चंद्रमा की चट्टानें हर आइसोटोपिक रेशियो पर एक जैसी हैं.' उन्होंने समझाया, 'चूंकि ग्रहों पर पाए जाने वाले पदार्थ में इन तत्वों के आइसोटोपों में काफी भिन्नता है, अगर कोई टक्कर हुई होती तो उनके आइसोटोपिक रेशियो में छोटे-छोटे अंतर मिलते. लेकिन अभी तक पृथ्वी और चंद्रमा के बीच ऐसा कोई अंतर नहीं मिला है.'
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आखिर कैसे बना चंद्रमा?
नई रिसर्च के मुताबिक, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि चंद्रमा किसी टक्कर की वजह से बना था. यानी चंद्रमा का निर्माण कैसे हुआ, यह रहस्य अब भी बना हुआ है. सोस्सी की स्टडी प्रीप्रिंट सर्वर arXiv पर छपी है. उनके मुताबिक, पृथ्वी और उसका चंद्रमा शायद एक ही मूल पदार्थ से बने हैं, जिसमें किसी काल्पनिक तीसरे पिंड की जरूरत नहीं थी.
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पृथ्वी और चंद्रमा हमारे सौरमंडल में अनोखे हैं. यह इकलौता सिस्टम है जिसमें दो बड़े गोलाकार पिंड है जिनके अलग-अलग कोर हैं. चंद्रमा बुध से बहुत छोटा नहीं है और यदि वह अकेले तैर रहा होता, तो उसे अपने आप में एक ग्रह माना जा सकता था.