ब्रह्मांड की शुरुआत में ही यह ब्लैक होल सूर्य से 100 करोड़ गुना बड़ा कैसे हो गया? JWST की खोज कर रही हैरान
James Webb Space Telescope की मदद से एस्ट्रोनॉमर्स ने ब्रह्मांड की शुरुआत में ही महाविशाल ब्लैक होल (Supermassive black hole) की खोज की है. इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से एक अरब गुना अधिक है.
खगोलविदों को बिग बैंग के अरबों साल बाद विशालकाय ब्लैक होल मिलने की उम्मीद रहती है. लेकिन पहले तारों के बनने के समय के आसपास इनकी खोज हैरान करती है. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) के जरिए ब्रह्मांडीय भोर में एक महाविशाल ब्लैक होल की खोज हुई है. इस ब्लैक होल का द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान से एक अरब गुना ज्यादा है. यह ब्लैक होल उस समय देखा गया, जब ब्रह्मांड की आयु सिर्फ 770 मिलियन साल थी.
वैज्ञानिकों को ऐसा नहीं लगता कि यह ब्लैक होल उस समय बहुत ज्यादा पदार्थ को निगल रहा था. लेकिन जितना इसका आकार है, उतना बड़ा होने के लिए तो इसे समय की शुरुआत से ही भयानक भूखा होना चाहिए था. यह महाविशाल ब्लैक होल J1120+0641 नामक गैलेक्सी के केंद्र में मौजूद क्वेसार को शक्ति देता है.
नई खोज उठा रही वैज्ञानिकों की समझ पर सवाल
नजदीकी और हालिया महाविशाल ब्लैक होल कैसे इतने बड़े हो गए, यह तो समझाया जा सकता है. लेकिन सूर्य से करोड़ों गुना द्रव्यमान वाला ब्लैक होल बनने में लगभग एक बिलियन साल लगने चाहिए. इसका मतलब यह है कि 13.8 अरब साल पुराने ब्रह्मांड के एक अरब साल पुराना होने से पहले मौजूद ऐसे विशालकाय ब्लैक होल को खोजना वैज्ञानिकों के लिए एक वास्तविक दुविधा है.
ऐसे महाविशाल ब्लैक होल के शुरुआती विकास के बारे में एक सिद्धांत यह है कि वे भयानक रूप से पदार्थ निगल रहे थे जिसे 'अल्ट्रा-इफेक्टिव फीडिंग मोड' कहा जाता है. हालांकि, J1120+0641 के सुपरमैसिव ब्लैक होल को JWST से देखने पर इसके नजदीकी क्षेत्र में पदार्थ निगलने का कुशल सिस्टम नहीं दिखा.
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यह खोज अल्ट्रा फास्ट फीडिंग सुपरमैसिव ब्लैक होल ग्रोथ मैकेनिज्म पर शक पैदा करती है. इसका मतलब है कि वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के शुरुआती विकास के बारे में जितना पता होने का अहसास है, उन्हें उससे भी कम पता हो सकता है.
नजदीकी क्वेसार से थोड़ा ज्यादा गर्म है यह
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी (MPIA) में पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्चर सारा बोसमान उस टीम के प्रमुख हैं जिसने यह स्टडी की. उन्होंने एक बयान में कहा, 'नए ऑब्जर्वेशन से रहस्य और बढ़ता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम उन्हें किस वेवलेंथ्स पर देखते हैं, क्वेसार ब्रह्मांड के सभी युगों में लगभग एक समान होते हैं.'
JWST की हालिया खोज में इस क्वेसार और आधुनिक क्वेसारों में एक फर्क जरूर मिला. इस क्वेसार की एक्रीशन डिस्क में तापमान करीब 1,130 डिग्री सेल्सियस है जो कि धरती के नजदीक मिले महाविशाल ब्लैक होल वाले क्वेसार के चारों तरफ मौजूद धूल के वलयों के तापमान से 100 डिग्री ज्यादा है.