विज्ञान कहता है कि हमारे ब्रह्मांड का अंत भी निश्चित है. लेकिन एक कण ऐसा भी है जिसकी उम्र ब्रह्मांड की आयु से न्यूनतम 5 क्विंटिलियन गुना ज्यादा है. क्विंटिलियन मतलब 10 की घात 18, या एक के बाद 18 शून्य. अंकों में लिखें तो 1,000,000,000,000,000,000. उस कण को हम इलेक्ट्रॉन के नाम से जानते हैं. जानिए इलेक्ट्रॉन की उम्र कितनी होती है.
1929 में एडविन हबल ने पाया कि कोई आकाशगंगा हमसे जितनी दूर होती है, वह उतनी ही तेजी से अंतरिक्ष में पीछे जाती हुई मालूम होती है. उनकी इस खोज से हमें पता चला कि ब्रह्मांड सभी दिशाओं में समान रूप से फैल रहा है. 1998 में हबल टेलीस्कोप की खोज ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया. पता चला कि ब्रह्मांड के फैलने की रफ्तार लगातार बढ़ रही है.
धीरे-धीरे हमें यह समझ आने लगा कि ब्रह्मांड का अंत कैसे होगा. आज से खरबों साल बाद, सभी तारे ठंडे पड़ने लगेंगे. नए तारों का निर्माण रुक जाएगा. सारा प्रकाश गायब हो जाएगा. यह वह दौर होगा जिसमें ब्रह्मांड में घटित होने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा क्योंकि यह 'न्यूनतम तापमान और अधिकतम एन्ट्रॉपी' के करीब पहुंच जाएगा. इस 'हीट डेथ' कहते हैं.
जैसे-जैसे ब्रह्मांड फैलता है, खाली जगह में ऊर्जा बढ़ती जाती है. एक समय ऐसा आएगा जब स्पेस टाइम का ताना-बाना ही फट जाएगा. बिग बैंग के उलट इसे 'बिग रिप' कहा जाता है. अनुमान है कि बिग रिप की अवस्था आज से 22 बिलियन साल बाद आएगी.
ब्रह्मांड के अंत की एक और थ्योरी 'द बिग क्रंच' है. यह तब होगा जब ब्रह्मांड में इतना सामूहिक पदार्थ होगा कि गुरुत्वाकर्षण बल विस्तार को रोक सकेगा और सब कुछ एक बिंदु की ओर वापस खींच सकेगा. इस थ्योरी के हिसाब से एक और बिग बैंग होगा और ब्रह्मांड फिर से जन्म लेगा. इस तरह ब्रह्मांड के मरने और जीने का सिलसिला हमेशा चलता रहेगा.
मॉडर्न पार्टिकल फिजिक्स में एक 'स्टैंडर्ड मॉडल' है. इसमें यह नियम शामिल है कि ऊर्जा (Energy) और द्रव्यमान (Mass) की तरह विद्युत आवेश (Electric charge) भी संरक्षित रहता है. ध्यान रहे कि इलेक्ट्रॉन पर नेगेटिव चार्ज होता है.
सैद्धांतिक रूप से एक इलेक्ट्रॉन, फोटॉन और न्यूट्रिनो में विघटित हो सकता है, लेकिन यह इस सिद्धांत का उल्लंघन होगा. अगर यह माना जाए कि इलेक्ट्रॉन आवेश संरक्षण के नियम का पालन करते हैं, तो वास्तव में वे हमेशा जीवित रहते हैं.
तमाम वैज्ञानिक प्रयोगों में अब तक अपने आप इलेक्ट्रॉन क्षय का कोई सबूत नहीं मिला है. इटली में चले बोरेक्सिनो प्रयोग के नतीजे बताते हैं कि इलेक्ट्रॉन का न्यूनतम जीवनकाल लगभग 66,000 'योट्टावर्ष' (6.6 × 10^28 साल) है. एक योट्टावर्ष में एक ट्रिलियन ट्रिलियन साल होते हैं. यानी इलेक्ट्रॉन की न्यूनतम उम्र भी ब्रह्मांड की उम्र से 5 क्विंटिलियन (1 के पीछे 18 जीरो) गुना ज्यादा है.
इलेक्ट्रॉन की खोज का श्रेय जे.जे. थॉमसन को दिया जाता है. थॉमसन ने 1897 में कैथोड किरणों पर प्रयोग करते हुए पाया कि वे वे परमाणुओं से भी बहुत छोटे नेगेटिव चार्ज वाले कणों से बनी होती हैं.
इलेक्ट्रॉन एक सबअटॉमिक पार्टिकल है यानी यह सभी परमाणुओं के भीतर पाया जाता है. इन पर नेगेटिव चार्ज होता है. प्रोटॉन इनके ठीक उलट होते हैं जिन पर पॉजिटिव चार्ज होता है. फिजिक्स के स्टैंडर्ड मॉडल में प्रोटॉन, न्यूट्रॉन या परमाणुओं के नाभिक के विपरीत, इलेक्ट्रॉन मूल कण हैं. इसका मतलब यह है कि इलेक्ट्रॉन और भी छोटे कणों से नहीं बने हैं.
प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के उलट, इलेक्ट्रॉनों में कोई द्रव्यमान नहीं होता है. ये आमतौर पर परमाणुओं के नाभिक से बंधे होते हैं. एक उदासीन परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या नाभिक में पॉजिटिव चार्जेस की संख्या के समान होती है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़