नई दिल्ली: चांद पर सबसे पहले जाने वाले इंसान नील आर्मस्ट्रॉन्ग (Neil Armstrong) थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसाने से पहले चांद पर डायनासोर (Dinosaur On Moon) पहुंच चुके थे? माना जाता है कि 6.6 करोड़ साल पहले डायनासोर (Dinosaur) चांद पर पहुंच गए थे. चांद पर डायनासोर का कुछ हिस्सा पाए जाने की संभावना पीटर ब्रैनन (Peter Brannen) की साल 2017 में आई किताब 'द एंड्स ऑफ द वर्ल्ड' (The Ends Of The World) में जताई गई है.


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यह किताब सोशल मीडिया (Social Media) पर इन दिनों खूब चर्चा में है. ब्लॉगर मैट ऑस्टिन ने किताब का कुछ हिस्सा ट्विटर (Twitter) पर शेयर किया है.


ऐस्टरॉइड से टकराने के बाद चांद पर पहुंचा मलबा


दरअसल, माना जाता है कि ऐस्टरॉइड (Asteroid) के धरती से टकराने की वजह से डायनासोर (Dinosaur) विलुप्त हो गए थे. इस किताब में दावा किया गया है कि जब यह ऐस्टरॉइड (Asteroid) धरती से टकराया तो मलबा चांद पर जा पहुंचा. वह ऐस्टरॉइड माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) से भी ज्यादा विशाल था और किसी तेज गोली से भी ज्यादा रफ्तार से यह धरती की ओर आया था.


किताब में जियोफिजिसिस्ट (Geophysicist) मारियो रेबोलेडो के हवाले से लिखा गया है कि ऐस्टरॉइड (Asteroid) का एटमॉस्फेरिक प्रेशर (Atmospheric Pressure) इतना ज्यादा था कि उसकी टक्कर से पहले ही जमीन में गड्ढा होने लगा था.


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ऐस्टरॉइड के गिरने से 120 मील का गड्ढा


इस किताब में लिखा गया है कि ऐस्टरॉइड (Asteroid) इतना विशाल था कि वायुमंडल आने के बाद भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ. ब्रैनन का कहना है कि ऐस्टरॉइड (Asteroid) से पैदा हुए दबाव की वजह से ऊपर आसमान में हवा की जगह वैक्यूम (Vacuum) पैदा हो गई थी. हो सकता है कि डायनासोर की हड्डियां चांद पर हों.


रिबोलेडो ने लिखा, ऐस्टरॉइड (Asteroid) के गिरने से 120 मील का गड्ढा हो गया था, चट्टानें भाप हो गई थीं और आसमान में अरबों टन सल्फर और कार्बनडाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) आ गई थी.


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