Science News in Hindi: मंगल पर जीवन की तलाश कई दशकों से जारी है. अमेरिका, चीन और भारत समेत कई देशों की नजरें मंगल पर हैं. मानव अगले दो-तीन दशक में मंगल पर बसने का सपना देख रहा है. लेकिन क्या ऐसा संभव है कि मंगल पर जीवन था, हमें इस बारे में काफी पहले से मालूम था? अमेरिकी खुफिया एजेंसी, CIA का एक डॉक्यूमेंट डी-क्‍लासिफाइड होने से यह सवाल उठा है. यह दस्तावेज कहता है कि शायद 40 साल पहले ऐसी खोज हुई थी, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से नहीं. Mars Exploration May 22, 1984 टाइटल वाले डॉक्यूमेंट के अनुसार, एस्ट्रल प्रोजेक्शन - ऐसी तकनीक जिसके बारे में माना जाता है कि यह व्यक्ति की चेतना या सूक्ष्म रूप को शरीर से परे यात्रा करा सकती है - के जरिए किसी को मंगल पर कोई दस लाख साल ईसा पूर्व भेजा गया था.


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उस अजीब प्रयोग से क्या पता चला?


CIA के उसी दस्तावेज पर आधारित मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि यह प्रयोग Project Stargate का हिस्सा था. यह अमेरिकी सेना का एक खुफिया कार्यक्रम था जिसे 1977 में टेलीपैथी, साइकोकाइनेसिस और रिमोट व्यूइंग सहित असाधारण घटनाओं की जांच के लिए शुरू किया गया था. इसमें हिस्सा लेने वालों ने अपनी मानसिक क्षमताओं को बढ़ाने और चेतना की बदली हुई अवस्थाओं को प्राप्त करने के लिए बाइनॉरल बीट्स और हेमी-सिंक ऑडियो के साथ सत्र में भाग लिया.


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मंगल वाले प्रयोग के दौरान, सब्जेक्ट ने कथित तौर पर विषय ने 'पिरामिड का तिरछा दृश्य' और 'एक बहुत बड़ी सड़क' के साथ-साथ एक स्मारक को देखने का जिक्र किया था. यह नजारा प्राचीन मिस्र से मिलता जुलता था.सब्जेक्ट ने रेशम जैसे फिट कपड़े पहने 'बहुत लंबे, पतले लोगों' को भी देखा.' सब्जेक्ट के अनुसार, 'एक सभ्यता जो पतन के कगार पर थी, अपने पर्यावरण के बिगड़ने के कारण एक नए घर की तलाश कर रही थी.'


सब्जेक्ट को मंगल पर तय जगह पर जाने के निर्देश दिए गए थे. वहां उन्होंने 'हाइबरनेशन, किसी रूप' के लिए डिजाइन की गई संरचनाओं के साथ-साथ परिदृश्य को तबाह करने वाले अराजक तूफानों को देखा. सब्जेक्ट ने आगे दावा किया कि उसने मंगल के प्राणियों को 'एक बड़ी नाव' में सवार होकर दूसरे ग्रह की यात्रा करते हुए देखा.


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Project Stargate के तहत हुआ यह प्रयोग मैरीलैंड के फोर्ट मीड में चला था. कोल्ड वार के दौर में अजीबोगरीब तरीके से बंधकों और अपराधियों का पता लगाने के साथ-साथ इंटेलिजेंस जुटाई जाती थी. CIA का यह दस्तावेज 2017 में डी-क्लासिफाई किया गया था लेकिन हाल ही में यह फिर से इंटरनेट पर चर्चा का विषय बना है.


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