Science News: यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने अप्रैल 2024 में मंगल ग्रह की सतह का एक दिलचस्प फोटो जारी किया. ऐसा लग रहा था कि हजारों की संख्या में मकड़‍ियां मंगल की जमीन पर जमा हो गई हैं. हालांकि, वे मकड़‍ियां नहीं, मंगल पर होने वाली एक भौगोलिक थी. ये मकड़‍ियां असल में धूल से बनी आकृतियां हैं, जिन्हें एरेनिफॉर्म्स (araneiforms) कहते हैं. ये केवल मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर वसंत ऋतु में नजर आती हैं. वैज्ञानिकों को यह नहीं मालूम कि ये कैसे बनती हैं और हर साल कैसे आ जाती हैं. फिर भी, अमेरिकी एजेंसी NASA के वैज्ञानिकों ने लैब के भीतर ऐसी आकृतियां बनाने में सफलता पाई है. इससे हमें लाल ग्रह की सतह के बारे में और जानकारी मिल सकेगी.


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NASA ने धरती पर बनाईं 'मकड़ियां'


NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) में प्लैनेटरी साइंटिस्ट लॉरेन मैक केवन ने कहा, 'ये मकड़ियां अपने आप में विचित्र, सुंदर भूगर्भिक विशेषताएं हैं. ये प्रयोग हमारे मॉडलों को इस बात के लिए तैयार करने में मदद करेंगे कि वे किस प्रकार बनते हैं.' मंगल पर बेहद ठंडी परिस्थितियों में कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ में जम जाती है. पृथ्‍वी पर ऐसा प्राकृतिक रूप से नहीं होता, लेकिन आर्टिफिशियल तरीके से ऐसा किया जा सकता है, जिसे ड्राई आइस कहते हैं.


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मंगल पर कैसे आईं ये 'मकड़ियां'?


मैक केवन और उनके साथियों को लगता है कि मंगल ग्रह की मकड़ियां जमी हुई कार्बन डाइऑक्साइड के सीधे गैस में बदल जाने का नतीजा हो सकती हैं. कार्बन डाइऑक्साइड का कोई तरल रूप नहीं होता. इसे कीफर मॉडल के नाम से जाना जाता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, जब मंगल पर ठंड होती है तो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड जमीन पर जम जाती है. वसंत ऋतु में तापमान बढ़ जाता है और यह कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ अपनी गैसीय अवस्था में वापस आ जाती है.


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बर्फ के जमाव के नीचे, मंगल ग्रह की गहरी मिट्टी गर्मी को अवशोषित करना शुरू कर देती है. गैस ऊपर बर्फ के स्लैब के नीचे फंस जाती है. चूंकि अब गैस के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए दबाव बढ़ता है और एक छोटे विस्फोट में बर्फ टूट जाती है. कार्बन डाइऑक्साइड गैस बर्फ की इन दरारों से होकर निकल जाती है, साथ ही गहरे रंग की धूल भरी सामग्री भी. जब सारी बर्फ पिघल जाती है, तो पीछे सिर्फ एक गहरा, मकड़ी जैसा निशान रह जाता है.


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रिसर्चर्स ने कुछ खनिजों को मिक्स करके मंगल जैसी धूल तैयार की, फिर उसे लिक्विड नाइट्रोजन में ठंडा किया. उसके बाद मिश्रण को चैंबर में रखा गया. चैंबर के भीतर की स्थितियां मंगल पर ठंड के सीजन जैसी रखी गईं. फिर उन्होंने चैंबर में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ी और वह स्टिमुलेंट पर जम गई. फिर चैंबर को गर्म किया गया और कई कोशिशों के बाद बर्फ में आखिरकार धमाका हुआ.


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