मंगल पर मिला यह मुस्कुराता चेहरा किसका है? यूरोप की स्पेस एजेंसी को लाल ग्रह पर दिखी अजीब चीज
Advertisement
trendingNow12421347

मंगल पर मिला यह मुस्कुराता चेहरा किसका है? यूरोप की स्पेस एजेंसी को लाल ग्रह पर दिखी अजीब चीज

Mars Planet News: यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के ऑर्बिटर ने मंगल ग्रह की सतह पर मौजूद चट्टानों में एक खास आकृति देखी है. ESA की नई तस्वीर में मंगल पर एक 'स्माइली' फेस नजर आ रहा है.

मंगल पर मिला यह मुस्कुराता चेहरा किसका है? यूरोप की स्पेस एजेंसी को लाल ग्रह पर दिखी अजीब चीज

Science News in Hindi: मंगल ग्रह पर मिली 'स्माइली' जैसी एक चट्टान ने वैज्ञानिकों का ध्‍यान खींचा है. उन्हें लगता है कि इस चट्टान में लाल ग्रह का सबसे बड़ा राज छिपा हो सकता है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के अनुसार, इस 'स्माइली फेस' जैसी चट्टान से हमें मंगल पर कभी मौजूद रहे जीवन के बारे में पता चल सकता है. अरबों-खरबों साल पहले मंगल पर नदियां, झीलें और शायद महासागर भी हुआ करते थे. सब एक झटके में तबाह हो गया. रिसर्चर्स का मानना है कि इमोटिकॉन के आकार का यह नमक का भंडार, मजबूत सूक्ष्मजीवों का घर हो सकता है.

ESA की ओर से जारी की गईं तस्वीरें उसके ExoMars Trace Gas Orbiter ने खींची हैं. यह लाल ग्रह पर जीवन के संकेत खोजने गया सैटेलाइट है. इसने मंगल की सूखी सतह पर क्लोराइड साल्ट डिपॉजिट्स के फोटो लिए हैं. इनकी स्टडी करके वैज्ञानिक ग्रह की पिछली जलवायु, भूविज्ञान और संभावित आवास-क्षमता के बारे में सुराग खोज सकते हैं.

fallback
मंगल पर मिले क्लोराइड साल्ट डिपॉजिट (Photo : ESA/TGO/CaSSIS)

'जीवन की संभावनाओं के बारे में नई जानकारी

ESA ने तस्वीरों के कैप्शन में लिखा, 'कभी नदियों, झीलों और संभवतः महासागरों की दुनिया रहा मंगल अब हमारे एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर द्वारा पाए गए क्लोराइड साल्ट डिपॉजिट्स के माध्यम से अपने रहस्यों को उजागर करता है. ये डिपॉजिट्स, प्राचीन जल निकायों के अवशेष, अरबों साल पहले के रहने योग्य क्षेत्रों का संकेत दे सकते हैं. लगभग एक हजार संभावित स्थलों की खोज मंगल की जलवायु और पिछले जीवन की संभावना के बारे में नई जानकारी प्रदान करती है.'

मंगल का पानी कहां चला गया?

स्विट्जरलैंड की बर्न यूनिवर्सिटी में प्लैनेटरी साइंटिस्ट वैलेंटिन बिकेल की हालिया रिसर्च 'साइंटिफिक डेटा' जर्नल में छपी है. उनके मुताबिक, 'मंगल ग्रह पर ठंडा युग तब शुरू हुआ जब इसने अपना चुंबकीय क्षेत्र खो दिया. अब यह अपने वायुमंडल को बनाए नहीं रख सकता था, जिसके कारण पानी वाष्पित हो गया, जम गया या सतह के भीतर फंस गया. जैसे-जैसे समय के साथ पानी गायब होता गया, इसने सतह पर खनिज छाप छोड़ी. बहुत नमकीन पानी जीवन के लिए एक ठिकाना बन सकता था. नमक की उच्च सांद्रता पानी को शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर तरल रहने देती है.'

विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news