Most Dangerous Chemical: जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने यहूदियों को मारने के लिए गैस चैंबर का इस्तेमाल किया. उससे पहले, प्रथम विश्‍व युद्ध में भी केमिकल हथियारों का प्रयोग हो चुका था. 20वीं सदी में खुदकुशी के लिए साइनाइड का इस्तेमाल भी खूब होता था. फिर कोल्ड वॉर के समय में नर्व एजेंट्स जैसे खतरनाक केमिकल्स सामने आए. सरीन जैसी घातक गैस का भी कई बार प्रयोग हुआ. लेकिन दुनिया का सबसे खतरनाक या घातक केमिकल कौन सा है?


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सबसे घातक होते हैं नर्व एजेंट्स


इस सवाल का जवाब उतना सीधा नहीं है. घातक डोज कितनी होगी और आप पर क्या असर होगा, इस पर काफी कुछ निर्भर करता है. आमतौर पर नर्व एजेंट्स को सबसे जहरीला केमिकल हथियार माना जाता है. ये बेहद कम मात्रा में जानलेवा साबित होते हैं. उदाहरण के दौर पर VX को ही लीजिए. ब्रिटिश मिलिट्री ने इसे केमिकल हथियार की तरह विकसित किया था. सिर्फ 10 मिलीग्राम VX ही मिनटों में इंसान को मौत दे सकता है. यह सांस लेने वाली मांसपेशियों को पंगु बनाकर अपने शिकार का दम घोंट देता है.


Botox भी कम घातक नहीं


बोटॉक्स का कॉस्मेटिक सर्जरी में खूब इस्तेमाल होता है. इसका पूरा नाम Botulinum toxin है और इसे Clostridium botulinum नाम का बैक्टीरिया पैदा करता है. यह धरती पर प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला सबसे जहरीला पदार्थ है. बोटॉक्स हमारे शरीर की मांसपेशियों तक नर्व सिग्नल्स को ब्लॉक कर देता है. इंसान की लकवे से मौत हो जाती है.


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गैस जो पानी में कराती है विस्फोट


क्लोरीन ट्राइफ्लोराइड, ऐसी रंगहीन गैस जो भयानक रूप से क्रियाशील होती है. यह पानी, रेत और यहां तक कि पहले से जल चुके पदार्थों की राख के संपर्क में आने पर धमाका करती है.


सबसे घातक केमिकल


ऊपर बताए गए तीनों पदार्थ दुनिया के सबसे घातक केमिकल्स में से हैं. इसके बावजूद, जिन केमिकल्स से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं, वे बेहद आम हैं जैसे- ब्लीच और डिसइंफेक्टेंट. इन घरेलू केमिकल्स की वजह से अमेरिका में 100,000 से अधिक लोग गलती से जहर खा जाते हैं.


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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, खतरा इस बात पर निर्भर करता है कि आपके किसी घातक केमिकल के संपर्क में आने की संभावना कितनी है. किचन में मिलने वाले चाकू को ही लीजिए. उसकी धार तेज होती है और सब्जियों के साथ इंसान को भी काटा जा सकता है. लेकिन हम चाकू को कैसे रखते हैं और किस तरह इस्तेमाल करते हैं, उससे तय होता है कि खतरा होगा या नहीं. केमिकल्स के मामले में भी यही फंडा लागू होता है.