वॉशिंगटन: इस महीने की 27 तारीख को आकाश में एक दुर्लभ खगोलीय घटना घटने वाली है। पिछले कई सालों में यह पहली बार होगा जब 27 सितंबर की रात को आसमान में चंद्र ग्रहण और सुपर मून दिखने की खगोलीय घटना एक साथ घटेगी। नासा के मुताबिक, यह चंद्र ग्रहण एक घंटे 12 मिनट की अवधि तक रहेगा। यह दुर्लभ चंद्र ग्रहण उत्तरी-पश्चिमी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के कुछ भागों में ही दिखेगा। नासा का कहना है कि लोग बिना मास्क के ही सुपरमून को देख सकेंगे। 


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27 सितंबर रात 8:11 बजे जैसे ही सुपरमून दिखना शुरू होगा पृथ्वी की छाया मंद हो जाएगी। रात 9:07 बजते ही आंशिक चंद्र गृहण शुरू होगा और एक प्रत्यक्ष छाया चांद को घेर लेगी। इसके बाद रात 10:11 बजे पूर्ण ग्रहण शुरू होगा।  नासा के लूनर रेकनैस्संस ऑर्बिट में डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नूह पेट्रो का कहना है कि चंद्रमा पूर्णत: गोल नही है। यह कभी-कभी पृथ्वी के नजदीक आता है तो दूसरे ही वक्त अपने कक्ष में चले जाता है। उनका कहना है कि चांद जब दूर होता है तो इसे ऐपजी (दूरतम बिंदु) और जब नजदीक होता है तो परिगी (भू-समीपक) कहते हैं। 


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27 सितंबर को घटने वाली खगोलीय घटना में सुपरमून पृथ्वी के बेहद नजदीक दिखाई देगा। यह साल का सबसे नजदीक पूरा चांद होगा। भू-समीपक होने पर चांद अपने दूरतम बिंदु (ऐपजी) से पृथ्वी के 31,000 मिल नजदीक होता है। पृथ्वी के नजदीक होने के दौरान चंद्रमा आकाश में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत चमकदार दिखता है। इसे ही 'सुपरमून' कहते हैं।  इस चंद्र गृहण के दौरान पृथ्वी की छाया एक घंटे से ज्यादा समय के लिए चांद को ढक देती है। इस दौरान गृह सूर्य और चंद्र के बीच होते हैं। इससे पहले यह दुर्लभ चंद्र गृहण और सुपरमून 1982 में दिखा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके बाद यह संयोग साल 2033 से पहले नहीं आएगा।  


स्रोत : नासा