Immortal Human Concept: क्या इंसान हमेशा के लिए अमर हो सकता है. यह वो सवाल है जिसका जवाब अनादिकाल से मनुष्य खोज रहा है. इसके लिए अबतक जो शोध हुए हैं, उनमें अभी तक सिर्फ इतना पता चल सका है कि किस देश या इलाके के लोग सबसे लंबी और स्वस्थ्य जिंदगी जीते हैं या लंबी उम्र वाले लोगों का खान-पान या दिनचर्या कैसी होती है. इससे इतर अब एक शोध के नतीजों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि रिसर्च में सबकुछ आगे भी सही चला तो इंसानों की बढ़ती उम्र पर रोक लगाई जा सकेगी यानी वो हमेशा जवान बना रहेंगे यानी उनमें बुढ़ापा नहीं आएगा. 


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कुदरत को चुनौती


अधिकतर धार्मिक किताबों में बताया गया है कि मनुष्य का शरीर नश्वर है यानी जो आया है वो जरूर जाएगा. जो पैदा हुआ है उसकी मृत्यु जरूर होगी. लेकिन इस दावे को स्पेन के वैज्ञानिक चुनौती देने जा रहे हैं. हाल ही में स्पेन की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जेलीफिश पर रिसर्च किया और उसके नतीजों के आधार पर उम्मीद लगाई जा रही है कि वे अमरत्व का रहस्य हासिल करने से बस एक कदम की दूरी पर हैं.


न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (National Academy of Sciences) में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट में मारिया पास्कुअल, विक्टर क्वेसाडा और ओविएडो यूनीवर्सिटी की टीम ने ट्यूरिटोप्सिस के आनुवंशिक क्रम की मैपिंग की है, जो जेलीफिश की अकेली ज्ञात प्रजाति है जो एक तरह से अमर है.


दावे का आधार


इस जीव यानी जेलिफिश में वापस युवावस्था में लौटने की क्षमता होती है, यानी कि जब इसके शरीर में कोई क्षति पहुंचती है तो वह खुद फिर से युवा बना लेता है. इस तरह से वह जब तक चाहे, तब तक जीवित रह सकता है. इस तरह की स्टडी को कंपेरेटिव जीनोमिक्स ऑफ मॉर्टल एंड इम्मोर्टल निडेरियन्स अनवील्स नोवेल कीज बिहाइंड रिजुवेनेशन कहा जाता है. इस रिसर्च के जरिए वैज्ञानिकों ने उम्र को कम करने वाली जेलीफिश के जीनोम को अनुक्रमित (Sequenced) किया और उसके डीएनए (DNA) के सटीक हिस्से को अलग करने में कामयाब रहे. इसी हिस्से का उपयोग करके जेलीफिश अपनी उम्र कम करके खुद को दोबारा युवा बना लेती है.


इस टीम ने जेलिफिश के आनुवंशिक अनुक्रम की मैपिंग के दौरान यह भी पता लगाया कि जेलिफिश के जीनोम में कई विविधताएं हैं जो इसे DNA की प्रतिलिपि बनाने और अपनी कोशिकाओं की मरम्मत करके उन्हें पहले जैसा बेहतर बना सकती हैं. जबकि मनुष्यों में उम्र बढ़ने के साथ टेलोमेयर की लंबाई कम होती है और मानव शरीर की कोशिकाएं डैमेज होने लगती हैं उनकी रिपेयरिंग की क्षमता कम हो जाती है और त्वचा में भी कई तरह के बदलाव आने लगते हैं.


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