Black Hole News: इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (EHT) प्रोजेक्ट ने 2019 में विज्ञान के क्षेत्र में तहलका मचा दिया था. दुनिया ने पहली बार किसी ब्लैक होल का असली फोटो देखा था. वह Messier 87 नामक गैलेक्सी के सेंटर में स्थित सुपरमैसिव ब्लैक होल M87* की तस्वीर थी. अब EHT की मदद से, वैज्ञानिकों ने धरती से ली गई सबसे साफ तस्वीर जारी की है. यह फोटो भी M87* की ही है, लेकिन पिछले वाले की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा डीटेल वाली है.


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M87* एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है जो पृथ्‍वी से करीब 55 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. EHT के जरिए हमारी आकाशगंगा Milky Way के बीच में मौजूद सुपरमैसिव ब्लैक होल Sagittarius A* (Sgr A*) का फोटो भी लिया गया था. EHT ने 2009 में काम करना शुरू किया था. इन 15 सालों में इसकी क्षमता कई गुना बढ़ गई है.



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तस्वीरों में और क्लियर नजर आएगा ब्रह्मांड


The Astronomical Journal में 27 अगस्त को छपे पेपर के अनुसार, EHT से 345 गीगाहर्ट्ज (Ghz) की फ्रीक्वेंसी पर तस्वीरें ली गईं. अभी EHT 230 GHz की क्षमता पर ऑपरेट करता है. 345 GHz पर वेवलेंथ सिर्फ 0.87 मिलीमीटर होती है. 345 Ghz पर तस्वीरें लेने में सफलता का मतलब यह है कि EHT अब M87* जैसे बेहद दूर स्थित पिंडों की कहीं ज्यादा डीटेल वाले फोटो खींच सकता है. इन फोटोज को मिलाकर कंपोजिट मल्टीपल-कलर इमेज बनाई जा सकती है. ठीक वैसी, जैसी आप नीचे देख सकते हैं.


बाईं तरफ वाला फोटो M87* की कंपोजिट सिमुलेटेड इमेज है. दाहिनी ओर 86 GHz (लाल), 230 GHz (हरा), और 345 GHz (नीला) पर इवेंट होराइजन टेलीस्कोप से देखा गया नजारा. (फोटोज: EHT, D. Pesce, A. Chael)

ग्रेविटी में मुड़ा प्रकाश तो बन गया चमकदार गोला


2019 में ब्लैक होल की जो पहली तस्वीर जारी हुई थी, वह 1.3 मिलीमीटर वेवलेंथ का इस्तेमाल करके बनाई गई थी. अब M87* का जो नया फोटो आया है, उसमें जो चमकीला रिंग दिख रहा है, वह असल में ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण में प्रकाश के मुड़ने से बना है. NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) के एस्ट्रोफिजिसिस्ट अलेक्जेंडर रेमंड के मुताबिक, 'यह फोटो भी धुंधली है क्योंकि हम कितनी साफ इमेज ले सकते हैं, उसकी परम क्षमता पर थे.'


जिस तारे की मौत से पैदा होता है ब्लैक होल, मिनटों में उसे ही निगल जाता है... ब्रह्मांड में गूंजती हैं चीखें!


M87* और Sgr A* की तस्वीरें जिस तकनीक से खींची गई, उसे 'वेरी लॉन्ग बेसलाइन इंटरफेरोमेट्री' यानी VLBI कहते हैं. इसमें एक नहीं, दुनियाभर में फैले कई रेडियो टेलीस्कोप एरे का इस्तेमाल होता है. 


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