Science News: ब्लैक होल कैसे बनते हैं? एक जवाब है- जब सूर्य से 15-20 गुना अधिक द्रव्यमान वाले तारों की हिंसक मौत होती है, तब. बेहद तेजी से घूमते हुआ ऐसा कोई तारा जब नाभिकीय संलयन के माध्यम से अपने केंद्र में मौजूद सभी ईंधन का उपयोग कर लेता है, तो वह फट जाता है और बचे हुए पदार्थ की एक डिस्क से घिरा एक ब्लैक होल पीछे छोड़ जाता है. तारों की इस हिंसक मौत को कोलैप्सर कहा जाता है. एक नई रिसर्च बताती है कि विशालकाय घूमते तारों की मौत से ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण तरंगें पैदा हो सकती हैं, जिन्हें पृथ्वी पर भी देखा जा सकता है.
तारों की हिंसक मौत से जो ब्लैक होल जन्म लेता है, वह बचे हुए पदार्थ को मिनटों के भीतर निगल लेता है. यह सब कुछ इतना हिंसक होता है कि यह अपने आस-पास के स्थान को विकृत कर देता है और पूरे ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण तरंगें भेजता है. इस प्रक्रिया का ब्यौरा देने वाले सिमुलेशन की डिटेल्स एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में छपे एक पेपर में बताई गई हैं.
रिसर्चर्स ने पाया कि इन गुरुत्वाकर्षण तरंगों के बारे में लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी जैसे उपकरणों का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है. इसी ऑब्जर्वेटरी ने 2015 में गुरुत्वाकर्षण तरंगों को पहली बार देखा था.
रिसर्चर्स ने पाया कि कोलैप्सर से इतनी शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण तरंगें निकल सकती हैं जो 50 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर से देखी जा सकती हैं. यह उस दूरी के दसवें हिस्से से भी कम है जिस पर विलय हो रहे न्यूट्रॉन तारों या ब्लैक होल से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाया जा सकता है, जैसे 2015 में किया गया था.
स्टडी के मुख्य लेखक ओरे गोटलिब के मुताबिक, यह नतीजा हैरान करने वाला है क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना था कि मरते हुए विशाल, घूमते हुए तारे का हिंसक पतन इतना अराजक होगा कि उससे ऐसी तरंगें पैदा नहीं होंगी जिन्हें ब्रह्मांड के बैकग्राउंड शोर के बीच से पहचाना जा सके.
न्यूट्रॉन तारों या ब्लैक होल के विलय से पैदा हुईं गुरुत्वाकर्षण तरंगें इस तथ्य से बढ़ जाती हैं कि दोनों चीजें एक-दूसरे के चारों ओर कसकर परिक्रमा करेंगी. नए सिमुलेशन से पता चलता है कि कोलैप्सर अपने चारों ओर पदार्थ की सर्पिल डिस्क के कारण एक समान प्रभाव पैदा कर सकते हैं.
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