किसी रात आकाश में देखें और एक नहीं दो चांद दिखें तो? वैज्ञानिकों ने दिया जवाब
वैज्ञानिकों ने हाल ही में पाया है कि एक ट्रोजन ऐस्टरॉइड मंगल ग्रह के पीछे छिपा एक ऐस्टरॉइड है जो चंद्रमा से काफी मिलता-जुलता है. यह चंद्रमा का एक छोटा सा हिस्सा है या चंद्रमा का जुड़वा हो सकता है. जानें, क्या है ये खोज.
नई दिल्ली : हाल ही में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने चांद के लंबे समय से खोए हुए जुड़वा को ढूंढ लिया है. ऐसा माना जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के पीछे छिपे चंद्रमा के जैसे दिखने वाले ऐस्टरॉइड की खोज की है. ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि ये ऐस्टरॉइड चांद का खोया हुआ जुड़वा हो सकता है. हालांकि ये नया ऐस्टरॉइड दिखने में चांद की तरह है लेकिन यह वास्तव में एक चंद्रमा नहीं है, बल्कि एक ट्रोजन ऐस्टरॉइड है. चलिए जानते हैं इस नए ग्रह के बारे में.
क्या है इस ऐस्टरॉइड का नाम
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के मुताबिक, चंद्रमा से मिलता-जुलता, (101429) 1998 VF31 नाम का यह ऐस्टरॉइड लगभग 1 किमी व्यास का है और ये ‘मार्स-क्रॉसिंग ऐस्टरॉइड’ है.
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
उत्तरी आयरलैंड में अर्माघ ऑब्जर्वेटरी और प्लैनटेरियम के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में ऐस्टरॉइड 101429 की संरचना की जांच की गई है. Icarus जनरल के जनवरी 2021 अंक में इसके नतीजों को प्रकाशित किया जाएगा.
नए शोध के प्रमुख लेखक डॉ एपोस्टोलोस क्रिस्टो के मुताबिक, इस ऐस्टरॉइड का चंद्रमा के समान रंग है. गहराई से विश्लेषण करने से पता चलता है कि ये ऐस्टरॉइड पाइरोक्सिन और आयरन से भरपूर है. चंद्रमा के कुछ हिस्सों को ढूंढना जहां असंभव लग रहा था, इसे देखकर लगता है कि अब कोई एक आधार सामने आया है.
क्या सचमुच यह दूसरा चांद है?
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह संभव है कि चंद्रमा का एक छोटा सा हिस्सा टूट कर मंगल ग्रह में फंस गया हो. हालांकि, यह भी संभावना जताई जा रही है कि यह ऐस्टरॉइड मंगल ग्रह का ही एक टुकड़ा हो सकता है.
क्या ऐसा कोई और ऐस्टरॉइड भी है? हां है, लेकिन यह अलग है क्योंकि अन्य एक दूसरे से संबंधित होते हैं. जनवरी 2021 में प्रकाशित होने वाली इस रिसर्च में कहा गया है कि यह मंगल ग्रह से उत्पन्न हुआ ऐस्टरॉइड है, जो एक बड़ा अलग सा ऐस्टरॉइड या चंद्रमा है.
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कैसे किया गया शोध?
रिपोर्टों के अनुसार, वैज्ञानिकों ने चिली में यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरी (ईएसए) में एक बहुत बड़े स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग किया. यह स्पेक्ट्रोग्राफ शोधकर्ताओं को यह देखने में सक्षम बनाता है कि ऐस्टरॉइड की सतह रंगों को कैसे दर्शाती है. स्पेक्ट्रोग्राफ द्वारा इकट्ठी की गई जानकारी के साथ, शोधकर्ताओं ने डेटा का विश्लेषण किया और इसकी तुलना अन्य स्पेस बॉडीज के साथ की.
हालांकि इससे पहले टीम का मानना था कि ऐस्टरॉइड की संरचना एक सामान्य उल्कापिंड के समान हो सकती है. वैज्ञानिकों ने विश्लेषण के दौरान पाया कि यह ऐस्टरॉइड अन्य छोटे निकायों के साथ नहीं बल्कि चंद्रमा के साथ था.
बता दें, ट्रोजन ऐस्टरॉइड आमतौर पर छोटे खगोलीय पिंड होते हैं जो बड़े आकाशीय पिंडों जैसे चंद्रमा या ग्रहों के साथ मूव करते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)