Science News in Hindi: मशहूर वैज्ञानिक कार्ल सेगन ने कभी कहा था- 'We are made of star-stuff', यानी हम सभी 'तारों की सामग्री' से बने हैं. हाल ही में, हबल टेलीस्कोप से मिले आंकड़ों ने इस बात पर मुहर लगा दी है. पता चला कि हमारे शरीर में मौजूद कार्बन कभी हमारी आकाशगंगा के बाहर सैकड़ों हजारों प्रकाश-वर्ष की दूरी तय कर चुका है.


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ब्रह्मांड में घूमकर वापस आते हैं तत्व!


तारों के भीतर, हीलियम से भारी तत्व बनते हैं. जब ये तारे सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करते हैं, तो ये तत्व ब्रह्मांड में फैल जाते हैं. ये तत्व नई पीढ़ी के तारों और ग्रहों का निर्माण करते हैं. लेकिन यह सफर सीधा नहीं होता. एक नई स्टडी से पता चला है कि कार्बन जैसे तत्व आकाशगंगा से बाहर जाकर उसके चारों ओर स्थित गैस के विशाल बादल, जिसे 'सरकमगैलेक्टिक मीडियम' (CGM) कहते हैं, में पहुंचते हैं और फिर वापस आते हैं. उन्होंने अनुमान लगाया कि इस गैस के बादल में कम से कम 30 लाख सूर्यों के बराबर द्रव्यमान है.


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हबल के डेटा का यूज करते हुए, वैज्ञानिकों ने 11 तारों का निर्माण कर रही आकाशगंगाओं के CGM की स्टडी की. उन्होंने पाया कि कार्बन की मौजूदगी आकाशगंगा से 391,000 प्रकाश-वर्ष दूर तक फैली हुई है. यह दूरी हमारी आकाशगंगा के 100,000 प्रकाश-वर्ष चौड़े दिखने वाले डिस्क से कहीं अधिक है.


'ब्रह्मांडीय ट्रेन की यात्रा'


यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की रिसर्चर सामंथा गर्जा ने इसकी तुलना एक विशाल ट्रेन स्टेशन से की. उन्होंने कहा कि CGM लगातार सामग्री को बाहर भेजता और वापस खींचता है. जब तारे सुपरनोवा बनकर विस्फोट करते हैं, तो भारी तत्व जैसे कार्बन और ऑक्सीजन CGM में पहुंचते हैं और फिर से तारा और ग्रह निर्माण के चक्र में शामिल हो जाते हैं.


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यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की एस्ट्रोनॉमर जेसिका वर्क के अनुसार, 'हमारे शरीर का कार्बन शायद काफी समय आकाशगंगा के बाहर बिताने के बाद वापस आया है.' चूंकि हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे अभी भी तारे बना रही है, इसका मतलब है कि हमारे आस-पास मौजूद कार्बन और ऑक्सीजन ने भी इस अंतरगैलेक्टिक यात्रा को कम से कम एक बार जरूर किया होगा. यह स्टडी 'द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स' में छपी है.


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