Psyche Mission: नासा के इस मिशन में धरती के रहस्य की कुंजी, ग्रीस की इस देवी से भी खास कनेक्शन
नासा का साइकी मिशन अपने सफर पर निकल पड़ा है. इस मिशन के बारे में बताया जा रहा है कि इसके जरिए धरती के कोर के बारे में जानकारी मिलेगी. हालांकि आप सबकी दिलचस्पी इस बात में होगी कि इस मिशन का नामकरण नासा ने साइकी क्यों किया.
NASA Psyche Mission: अंतरिक्ष के बारे में जानने की दिलचस्पी सदियों से रही है. दुनिया के अलग अलग खासतौर से विकसित देशों ने ग्रहों और तारों के बार में समझ को और विकसित करने के लिए अभियान चलाते रहे हैं. वैज्ञानिक जब अपने सौर मंडल के बारे में जानकारी जुटा रहे थे तो उन्हें मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षा के बाहर बड़ी बड़ी चट्टानें नजर आईं जिसे लेकर वो हैरान रह गए. काफी सोच विचार के बाद उन्हें एस्टेरॉयड का नाम दिया जिसे क्षुद्रग्रह भी कहते हैं. हाल ही में नासा ने बेन्नू एस्टेरॉयड के बारे में दिलचस्प जानकारी दी और हाल ही में यानी 13 अक्टूबर को एक और मिशन को लांच किया जिसे साइकी मिशन के नाम से जाना जाता है. इस मिशन का मकसद एस्टेरॉयड की परतों को समझ हासिल करना है लेकिन आपको दिलचस्पी इस बात से होगी कि इसे साइकी नाम क्यों दिया गया और ग्रीस से इसका क्या संबंध है.
ग्रीस की एक देवी हैं साइकी
ग्रीस में साइकी को एक देवी माना जाता है जिन्होंने शरीर धारण कर जन्म लिया और प्रेम के देवता इरोज से विवाह किया था .अब भला यह क्या कौन जानता है कि इतालवी खगोलशास्त्री एनीबेल दे गैस्पारिस ने 1852 में एक रात देखी गई एक खगोलीय वस्तु को ‘साइकी’ नाम क्यों दिया? साइकी अब तक खोजा गया 16वां क्षुद्रग्रह (Asteroid)है. क्षुद्रग्रह सौर मंडल का हिस्सा हैं.ये न तो परिचित ग्रह हैं और न ही कभी-कभार आने वाले धूमकेतु हैं. मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच क्षुद्रग्रह की पट्टी में लाखों अंतरिक्ष चट्टानें हैं, जिनका आकार बौने ग्रह सेरेस से लेकर छोटे कंकड़ और धूल के कणों जैसा है.
साइकी की खासियत
इन सबके बीच साइकी आज भी खास है. लगभग 226 किलोमीटर के औसत व्यास के साथ, यह सबसे बड़ा एम-प्रकार का क्षुद्रग्रह है, जो पृथ्वी के कोर की तरह लोहे और निकल से बना है. 13 अक्टूबर 2023 को नासा ने साइकी के अध्ययन के लिए एक अंतरिक्ष यान लांच किया था. यह मिशन उन सुरागों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए छह साल में 3.6 अरब किलोमीटर की यात्रा करेगा.साइकी जैसे एम-प्रकार के क्षुद्रग्रहों को सौर मंडल के प्रारंभिक वर्षों में नष्ट हुए ग्रहों के अवशेष माना जाता है. इन क्षुद्रग्रहों में, भारी तत्व जैसे धातु केंद्र की ओर आ गए और हल्के तत्व बाहरी परतों की ओर गए. फिर दूसरे वस्तुओं के साथ घर्षण की वजह से बाहरी परतें फट गईं और धातु-समृद्ध कोर को पीछे छोड़ते हुए अधिकतर सामग्री अंतरिक्ष में निकल गई.
धरती के कोर के बारे में मिलेगी जानकारी
पृथ्वी के केंद्र का अध्ययन करने की हमारी वर्तमान विधियां उतनी सटीक नहीं हैं. कभी-कभी सौर मंडल के प्रारंभिक इतिहास और हमारे अपने ग्रह की भी छोटी-छोटी झलकियां मिलती हैं. यह सिलसिला धात्विक उल्कापिंडों से लेकर पृथ्वी पर गिरने वाले क्षुद्रग्रहों तक है.बहरहाल, यह दृष्टिकोण बहुत सीमित है. कोर का अध्ययन करने का दूसरा तरीका भूकंप विज्ञान का उपयोग करना है.भूकंप के कारण होने वाले कंपन का ग्रह के आंतरिक भाग से गुजरने का अध्ययन वैसा ही है जैसा कि डॉक्टर हमारे शरीर के अंदर देखने के लिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग कर सकते हैं.भूकंप विज्ञान के साथ-साथ, हम पृथ्वी के आंतरिक भाग के उच्च दबाव और तापमान को समझने के लिए, प्रयोगशाला के प्रयोगों की मदद लेते हैं और कोर के बारे में सीखते हैं. हम भूकंप विज्ञान और प्रयोगशाला के प्रयोगों के अलावा कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करके उन्हें समझाने का प्रयास करते हैं.
साइकी मिशन से क्या है उम्मीद
नासा के साइकी मिशन को ग्रह की चट्टानी परत, धीरे-धीरे चलने वाले मेंटल और तरल कोर के माध्यम से यात्रा किए बिना पृथ्वी के केंद्र की ओर जाने वाले मिशन के रूप में सोच जा सकता है. मिशन का लक्ष्य यह पता लगाना है कि क्या साइकी वास्तव में एक नष्ट हुए ग्रह का हिस्सा है, जो शुरू में गर्म और पिघला हुआ था लेकिन धीरे-धीरे ठंडा हो गया और हमारे ग्रह की तरह ठोस हो गया.दूसरी ओर यह भी संभव है कि साइकी ऐसी सामग्री से बना हो जो कभी पिघली ही न हो. नासा यह भी पता लगाना चाहता है कि साइकी की सतह कितनी पुरानी है, जिससे पता चलेगा कि कितने समय पहले इसने अपनी बाहरी परतें खो दी थीं. मिशन क्षुद्रग्रह की रासायनिक संरचना की भी जांच करेगा और पता लगाएगा कि क्या इसमें लोहे और निकल के साथ ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, कार्बन, सिलिकॉन और सल्फर जैसे हल्के तत्व शामिल हैं.