'ब्लू व्‍हेल' एक ऐसा खेल जिसने भी उसे खेला वो अपनी जान के साथ खिलवाड़ कर गया. इस खूनी खेल के फेर में देश के 10 लोग जिनमें बच्चे भी शामिल है अपनी जान गवां चुके हैं. इसे ऑन लाइन गेम कहा जा रहा है लेकिन ये खेल नहीं बल्कि अपराधियों का जाल है जिसमें उनका सबसे आसान निशाना बच्चे बन रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के 23 साल के लड़के ने ब्लू वेल को बनाया जिसको खेलकर दुनिया के अब तक 13 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.


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गूगल ट्रेंड की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, ये गेम अभी दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में सर्च हो रहा है. नॉर्थ राज्य मणिपुर, नगालैंड, मेघालय, केरल और झारखंड में इसे सबसे ज्यादा सर्च और डाउनलोड किया गया. दुनिया के जिन 50 शहरों में ये सबसे ज्यादा सर्च हुआ, उनमें 30 भारतीय शहर हैं.


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हैरानी की बात ये है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाके जशपुर में पिछले 7 दिन में 25 हजार से ज्यादा लोगों ने ब्लू व्हेल गेम सर्च किया है. आईटी एक्सपर्ट के मुताबिक, जशपुर के बाद दुर्ग-भिलाई प्रदेश में दूसरे नंबर पर हैं. वहां 15 हजार से ज्यादा लोग इस जानलेवा गेम को सर्च कर चुके हैं. तीसरे नंबर पर जगदलपुर है, जहां 12 हजार लोगों ने इस गेम को इंटरनेट पर खोजा है.


छत्तीसगढ़ के 36 बच्चों की कलाई पर कट के निशान मिले हैं, स्कूल टीचर्स ने ये निशान देखे जिससे वो सकते में आ गए. उन्होंने अपने आला अफसरों को बताया और पुलिस को भी इसकी खबर की. हैरानी की बात ये है कि जैसे जैसे ब्लू व्‍हेल के जाल में फंसने की खबरें मीडिया में आ रही हैं लोगों को इसको लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही है. ब्लू व्‍हेल की गिरफ्त में सबसे आसानी से बच्चे और युवा आ रहे हैं.


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असम के सिलचर में सेकंड ईयर के स्टूडेंट ने ब्लू व्हेल गेम खेलते हुए बिल्डिंग की छत से छलांग लगा ली. इससे पहले आगरा की लड़कियां गेम का टास्क पूरा करने के लिए 700 किमी का सफर तय करने के लिए निकल गईं थी. कुछ दिन पहले ही मेरी बहन ने बताया कि उनके रिश्तेदार का बेटे ने ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या कर ली. बाद में मालूम चला कि स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा ब्लू व्‍हेल का शिकार हो गया है. बच्चे के माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं. शायद उन्होंने देखने की कोशिश ही नहीं करी होगी कि उनका बेटा मोबाइल पर क्या कर रहा है, शायद उनके पास इतना वक्त ही नहीं होगा कि वो अपने बच्चे को इस खूनी खेल के बारे में समझा पाते.


बच्चे ने अपने मोबाइल में पैटर्न लॉक लगा रखा था. 10-12 साल के बच्चे के मोबाइल में आखिर ऐसा क्या था कि उसने मोबाइल को लॉक कर रखा था. माता-पिता ने शायद कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके साथ ऐसा कुछ हो सकता है. लेकिन जब उनका जिंदादिल बेटा अचानक से उदास और गुमसुम रहने लगा था तो उन्हें उससे दोस्त बनकर बात करनी चाहिए थी, कोशिश करनी चाहिए थी कि वो अपनी खामोशी तोड़ दे लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ और ब्लू व्‍हेल एक और बच्चे को निगल गया.


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ब्लू व्‍हेल को अब संजीदगी से लेने का वक्त आ गया है. अब तक हम आप शायद इसको लेकर इतने फिक्रमंद नहीं थे लेकिन अब सबसे ज्यादा सचेत उन मां-बाप को रहने की जरूरत है जिन्होंने अपने बच्चों के हाथों में स्मार्ट फोन और इंटरनेट दे रखा है. माता-पिता को नजर रखनी होगी अपने बच्चों पर कि वो मोबाइल पर क्या कर रहा है, ऑन लाइन कौन सा गेम खेल रहा है. अगर बच्चा आपसे अपना मोबाइल छुपा रहा है तो पता करिए कि ऐसा क्या है उसके फोन में जो वो आपको नहीं दिखान चाह रहा है. अगर वो आपके फोन में गेम खेल रहा है तो अपने फोन में चैक करते रहिए कि वो क्या करता है. क्योंकि इसके अलावा फिलहाल ब्लू व्‍हेल अपने बच्चों को और खुद को बचाने का कोई तरीका नहीं है.


रूस में बने ब्लू व्हेल गेम को बैन कर दिया गया है लेकिन अब भी इसके कुछ लिंक निजी तौर पर लोगों के पास मौजूद हैं. जिसकी वजह से ये गेम अब भी लोगों तक पहुंच बनाए हुए है. ब्लू व्‍हले से सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि वो आसानी इस ट्रैप में फंस रहे हैं. माता-पिता को अपने बच्चों को ब्लू व्‍हेल के बारे में जागरूक करना होगा, वो कितना खतरनाक है ये बताना होगा. पेरेन्ट्स की जिम्‍मेदारी है कि वो इस खून खेल से अपने बच्चों के कैसे मेहफूज रख पाते हैं.


आजकल माता-पिता कम उम्र में ही बच्चों को स्मार्टफोन थमा कर अपनी जिम्‍मेदारी से मुक्ति पा लेते हैं. बच्चा फोन में क्या कर रहा है, क्या देख रहा है ये देखना भी आपकी ही जिम्‍मेदारी है. क्योंकि आपकी अनदेखी आपके बच्चे की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है. समय रहते इस ब्लू वेल के खूनी खेल से अपने बच्चों को सुरक्षित बनाइए क्योंकि फिलहाल तो खुद का और बच्चों का जागरुक होना ही इस खतरनाक जाल से बचा सकता है.


(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक विषयों पर टिप्पणीकार हैं)


(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)