‘डियर जिंदगी’ आरंभ हुए कुछ महीने ही बीते थे. फेसबुक मैसेंजर पर उनका संदेश मिला, ‘मैं इस जिंदगी से तंग आ चुकी हूं. नई शुरुआत करना चाहती हूं, लेकिन हिम्‍मत नहीं जुटा पाती. ससुराल में मानिए मैं आजीवन कारावास काट रही हूं. क्‍या करना चाहिए.’ इस तरह के सवाल का जवाब बिना मिले मैसेंजर पर देना मुश्किल होता है. क्‍योंकि इसमें व्‍यक्ति से न तो परि‍चय है, न ही आप उसके बारे में कुछ जानते हैं. थोड़ी से संवाद के बाद मैंने उनसे यह कहा…


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‘शादी के दस बरस बाद भी ससुराल अगर आपको आजीवन कारावास लगता है. पति से महीने में एक बार बात होती है. आपको वहां इतनी घुटन है कि आप आत्‍महत्‍या के बारे में सोचती रहती हैं. आपने एमए, एमएड किया है, तो आपको इस बारे में जल्‍दी निर्णय लेना चाहिए. रिश्‍ते जरूरी हैं, लेकिन वह जिंदगी की कीमत पर नहीं होने चाहिए. आप निर्णय कीजिए. जो भी दौर है, गुजरने के लिए है. गुजरेगा ही. बस डटे रहना है, हार नहीं मानना, निर्णय करना है.’


डियर जिंदगी: मित्रता की नई ‘महफिल’!


फैसला लेते समय डरिए मत, याद रखिए गलत निर्णय भी अनिर्णय से लाख गुना बेहतर है. इसमें कुछ न करने के अपराधबोध से हम पूरी जिंदगी आजाद रहते हैं. राजस्‍थान के कोटा से चित्रा दुबे ने अपने मन की बात डियर जिंदगी से साझा की थी.


इसके लगभग डेढ़ बरस बाद उनने फिर हमें लिखा है- "‘डियर जिंदगी’ की प्रेरणा के लिए आभार. ऐसा कई बार होता है कि हम फैसले के बहुत करीब होते हैं, लेकिन कर नहीं पाते. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था, ऐसे ही वक्‍त में आपने जैसे बंद कमरे में दीया जला दिया. मैंने तलाक लेने का फैसला किया. कुछ परेशानी, धमकी का सामना करने के बाद मैं खुश, आजाद और अपने पैरों पर खड़ी हूं."


डियर जिंदगी: आदतों की गुलामी!


वह आगे लिखती हैं, ‘यह भी गुजर जाएगा! वाली बात आशा, स्‍नेह से भरी है. इसमें जीवन के प्रति गहरी आस्‍था है. यह मुझे इतना प्रिय हुआ कि तब से यही मेरा व्‍हाट्सअप स्‍टेट्स है.’ चित्रा जी के हौसले को सलाम. ऐसे रिश्‍ते जिनसे जिंदगी की सांस घुटने लगे, उनमें अटके रहना व्यर्थ है. कोई भी परंपरा, बंधन जीवन से बड़ा नहीं. जिंदगी पर किसी को भारी मत पड़ने दीजिए!


जिंदगी खूबसूरत नज़ारों से भरी, लेकिन खतरनाक मोड़ वाली घाटी है. इसमें अनेक खतरे हैं, तेज़ मोड़ हैं. कहीं, कहीं यह घुमावदार भी हैं, लेकिन अंतत: इस सफर में ही आनंद है. इसलिए, कैसे भी दौर आएं, उनका सामना कीजिए. पीछे नहीं हटना, डरना नहीं. बस हर बार. बार-बार कहना है, ‘यह भी गुजर जाएगा.’


डियर जिंदगी: बच्‍चों के बिना घर! 


जैसे चित्रा जी के जीवन से दुख के बादल समय बदलते ही उड़ गए. आपके जीवन में अगर कहीं कोई धुंध है, तो इसके मायने केवल यह हैं कि आपकी जिंदगी में आशा का सूरज उगने ही वाला है. बस, उसकी प्रतीक्षा, जीवन के प्रति गहरी आस्‍था के साथ करनी है. जीवन के प्रति गहरी आस्‍था को और गहराई, न‍िजी स्‍तर पर महसूस करने, इसमें सहायता के लिए एक किताब मैं अक्‍सर सबको सुझाता हूं. समय निकाल, आप भी पढ़ लीजिए, अमृतलाल नागर की अमर रचना ‘नाच्‍यौ बहुत गोपाल’. अमेजन पर आसानी से मिल जाएगी. राजपाल प्रकाशन से आई है. कीमत केवल 245 रुपए.


डियर जिंदगी: प्रेम दृष्टिकोण है…


जीवन के राग में अगर कहीं भी कोई लय टूट रही है तो जुड़ जाएगी. जिस किसी पाठक को यह किताब पसंद न आए तो इसके पैसे मैं देने की गारंटी लेता हूं. यह किताब जिंदगी के प्रति एकदम गंगा जैसी आस्‍था से भरी है. तो आगे से जिंदगी के सफर में जब भी कोई मुश्किल गली मिले, तो बस इतना ध्‍यान रखा जाए, ‘यह भी गुजर जाएगा!’


मराठी में पढ़ने के लिए क्लिक करें : डिअर जिंदगी : विश्वास ठेवा, 'दिसं येतील... दिसं जातील!'


गुजराती में डियर जिंदगी पढ़ने के लिए क्लिक करें...


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(लेखक ज़ी न्यूज़ के डिजिटल एडिटर हैं)


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