ऑस्ट्रेलिया में ट्राई सीरीज में शर्मनाक हार का सामना करनेवाली टीम इंडिया 2015 के वर्ल्ड कप में इतना शानदार आगाज करेगी, यह किसी ने सोचा भी नहीं होगा। टीम इंडिया अपने विजयी अभियान को इस तरह बरकरार रखेगी यह  किसी ने उम्मीद नहीं लगाई होगी। धुन के पक्के धोनी के तरकश में क्या नया होता है इसका अंदाज लगाना बड़ा ही मुश्किल है। वह हार की स्थिति में जीतने का माद्दा रखते है और बहुत कुछ नया कर जाते है जो क्रिकेट में अमूमन देखने को नहीं मिलता।


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इस बार क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत ने लगातार पांच मैच जीता है और पूल बी में अजेय बनकर सबसे टॉप पर बना हुआ है। कैप्टन कूल माही की अगुवाई में भारत ने सबसे पहले पाकिस्तान को धूल चटाई। फिर दक्षिण अफ्रीका को धोया। फिर वेस्टइंडीज, यूएई और आयरलैंड को शिकस्त देकर यह बता दिया कि उन्हें हराना इतना आसान नहीं है।


क्रिकेट वर्ल्ड कप में धोनी की अगुवाई में भारत का विजय अभियान जारी है। वर्ल्ड कप के खिताब से अभी हम तीन कदम दूर है लेकिन ताबड़तोड़ नए रिकार्ड की बारिश होती चली जा रही है। धोनी बतौर कप्तान कई रिकार्ड बनाने चले जा रहे है और इस बहाने टीम इंडिया के लिए नई कामयाबी की इबारत भी लिखी जा रही है।


भारतीय क्रिकेट टीम ने महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में आईसीसी विश्व कप में अब तक लगातार नौ मैच जीते हैं। धोनी ने सौरव गांगुली के लगातार आठ जीत के रिकार्ड को पीछे छोड़ा और वेस्टइंडीज के क्लाइव लॉयड की बराबरी की।धोनी की कप्तानी में भारत ने अब तक 14 मैच खेले हैं और 12 मैच में जीत हासिल की है जबकि एक मैच में उसे हार मिली है और एक टाई रहा है। 2011 विश्व कप में 20 मार्च को वेस्टइंडीज पर मिली 80 रनों की जीत के बाद से भारत ने लगातार नौ मैच जीते हैं। इस दौरान भारत ने श्रीलंका को हराकर 28 साल बाद खिताब भी जीता है। धोनी 2007 से भारतीय टीम के कप्तान हैं। वैसे अजहर के नाम 98 मैचों में लगातार कप्तानी करने का भारतीय रिकार्ड है। धोनी ने बिना ब्रेक के 69 मैचों में कप्तानी की है।
 
धोनी टीम इंडिया के एक ऐसे कप्तान के रूप में शुमार होते हैं जिनके खाते में बेशुमार कामयाबियां दर्ज है।  वह एकमात्र ऐसे कप्तान है जिन्होंने आईसीसी के सभी टूर्नामेंट जीते हैं। विकेट कीपर के रूप में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड भी धोनी के नाम पर ही है। धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 में आईसीसी वर्ल्ड कप दिलाया। धोनी के बारे में सचिन तेंदुलकर ने भी कहा था कि जिन कप्तानों की अगुवाई में वो खेले हैं, धोनी उन सब में सबसे अच्छे कप्तान हैं। धोनी की कप्तानी में भारत टेस्ट और वनडे दोनों में नंबर-1 रह चुका है। इसके साथ ही वे खुद भी वनडे में नंबर-1 रह चुके हैं।


धोनी की कई खूबियां उन्हें अलग करती है। बतौर कप्तान वह पूरी टीम को एकजुट बनाए रखते है। दरअसल धोनी का अप्रोच सही मायने में उस ऑस्ट्रेलियन टीम के जैसा है जो हारने के हालात में भी अपने संयम और धीरज के साथ अंतिम क्षणों तक लड़ती हुई नजर आती है। धोनी के कप्तानी के गुर आक्रामक अंदाज में उस संयम की चाशनी में डूबे हुए है जो टीम इंडिया के लिए जीत की बुनियाद रखते है। यही वजह है कि धोनी को कैप्टन कूल कहा जाता है। एक ऐसा कप्तान जो कूल होकर अपने फैसलों से जीत को धीरे-धीरे बुनता और गढ़ता है।


धोनी के अप्रोच में 'कीन ऑब्जर्वेशन पावर' भी समाहित है जिसके जरिए वह हर खिलाड़ियों में छिपी प्रतिभा को बखूबी पहचानते हैं। वह एक खिलाड़ी से भविष्य की काबिलियत का आकलन बहुत पहले कर लेते हैं। मिसाल के तौर पर बल्लेबाज शिखर धवन वर्ल्ड कप से पहले की ट्राई सीरीज में बुरी तरह फ्लॉप रहे थे। यहां तक की टीम मैनेजमेंट उन्हें टीम से हटाने पर आमादा था लेकिन धोनी ने शिखर पर भरोसा जताया और उन्हें टीम में बनाए रखा और धवन पिछले पांच मैचों में दो शतक जड़कर धोनी के भरोसे पर पूरी तरह खरे उतर चुके है। आमतौर पर ऐसे प्रदर्शन के बाद किसी खिलाड़ी का टीम में बने रहना लगभग नामुमकिन होता है।


साथ ही रविचंद्रन अश्विन और रविंदर जडेजा विदेशी पिचों पर बुरी तरह फ्लॉप रहे है। यह दोनों खिलाड़ी विदेशी दौरे में नाकाम साबित हुए है। लेकिन वर्ल्ड कप से दोनों के प्रदर्शन में गजब का निखार आया। अश्विन की गेंदों की बदौलत टीम इंडिया को पिछले पांच मैचों में जीतने में काफी मदद मिली है। जडेजा एक उपयोगी फिल्डर के साथ पार्ट टाइम गेंदबाज की भूमिका बखूबी निभा रहे है।


धोनी चौंकाने वाले फैसले लेते है। ऐसे फैसले जो आमतौर पर किसी भी टीम का कप्तान नहीं लेता, धोनी वैसे फैसले लेते है। ज्यादातर धोनी के ऐसे अजीबो-गरीब फैसले सटीक साबित होते है। यही फैसले हारती हुई टीम इंडिया को मैच जिता भी देते है। धोनी के बारे में इयान चैपल, इयान बॉथम और सुनील गावस्कर ने एक सुर में कहा है कि धोनी वह सबकुछ कर जाते है जो कोई सोच भी नहीं सकता । धोनी की यह बड़ी काबिलियत है।


दरअसल मैच के दौरान हालात के मुताबिक वह वैसे निर्णय लेते है जो टीम इंडिया की जीत में मददगार साबित होते है। धोनी के इन फैसलों के पीछे उनकी क्रिकेट को लेकर सूझबूझ और उनके कूल टेंपरामेंट का होना है। आम तौर पर गेंदबाजों के खराब प्रदर्शन से कई क्रिकेट टीम के कप्तान उस अमुक खिलाड़ी को बुरा भला कहना लगता है। अपना आपा खो बैठते है। लेकिन धोनी ऐसे मौकों पर शांत रहते है और गेंदबाजों की हौसलाफजाई करते रहते है।