जिंदगी का कतरा-कतरा बिखर गया, सुनहरा संसार उजड़ गया. कितना कुछ खत्म हो गया क्षण भर के धुएं के गुबार में. कितनी अनमोल जिंदगियां समाप्त हो गईं, एक पल के आगोश में. धरी रह गईं तमाम भावनाएं, अनकहे संदेश, लंबी उम्र की दुआएं, ख्वाहिशों के गलियारे, शौर्य पराक्रम दिखाने की इच्छाएं, लम्हा-लम्हा जिंदगी के जोश को देखने की तमन्‍नाएं. आतंकी जानवरों ने तमाम उम्मीदों को खत्म कर दिया. असंख्य घरों के चिरागों को बुझा दिया.


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कहते हैं 40 से अधिक जवान शहीद हो गए, गलत है शहीद भले ही इतने जवान हुए हों, उनसे जुड़े सैकड़ों लोगों की भावनाएं दफन हो गईं. कितनी मांगों का सिंदूर उजड़ गया, कितनी बहनें भाइयों के बिना हो गईं ,कितने दिल टूट गए, कितने घर बर्बाद हो गए. क्या इन सब की भरपाई हो पाएगी? रुह कांप गई. ऐसे घिनौने अपराध से आत्मा छलनी हो गई. अपने जवानों की ऐसी शहादत देखकर, हर घर की दीवारों में कंपन हो गया शहीदों के परिवारों का रुदन देखकर, कब तक आखिर कब तक यूं ही एक-दूसरे की जान के प्यासे बने रहेंगे? कब तक ये नरभक्षी यूं खौफनाक मंजर को अंजाम देते रहेंगे.


इन सबकी इतिश्री कब होगी. जन्म तो होता ही मर जाने के लिए है जो भी यहां आया है वो एक दिन जाएगा भी किन्तु इस तरह से मौत उफ दर्द की पराकाष्ठा. कम से कम अपनी जिंदगी तो जी भर जी लेते हमारे नौजवान, कुछ तो अरमान पूरे हो जाते, कुछ तो कर गुजरते. देश के ये वीर वो पवित्र आत्मा हैं जो अपने लिए नहीं अपने परिवार वालों के लिए नहीं, हम देशवासियों के लिए जीते हैं.


ये शहादत किसी के बेटे की नहीं, किसी के पति की नहीं, किसी के पिता की नहीं बल्कि ये भारत के हर घर में होने वाले एक अजीज की मौत है, एक रिश्ते की मौत है. भारत के हर घर में क्षति हुई है. भले ही सब अपने कामों में व्यस्त हैं पर सभी बेहद भावुक हैं, दुखी हैं सबकी आत्मा पर आज बोझ हैं. अपने शहीदों को खोने का गम है. भारतीयता की पहचान, ये शहीद हमारे बीच ना रहकर भी हमेशा अपने कार्यों से हमारे साथ रहते हैं. 14 फरवरी का ये दिन इतिहास में शहीदों की कुर्बानी का दिन बनकर रह गया है, हर भारतीय की आंख में आंसू को जन्म देने वाला ये दिन इतिहास का काला अध्‍याय बनकर रह गया है. ये ऐसा नासूर है, जो सालोंसाल कसक देता रहेगा. ये कभी ना भरने वाला जख्म है. ये वो दर्द है जिससे सभी दुखी हैं.


आतंकियों की इस करतूत ने हर घर में अंधेरा कर दिया है. व्याकुलता, छटपटाहट, क्रोध, निराशा, आक्रोश और सबसे ज्यादा शहीदों को खोने की तकलीफ से आज भारत का हर शख्स दुखी है. तड़प है शहीदों के परिवारों के प्रति, कैसे सभी का संसार बसने से पहले ही उजड़ गया. क्या बीत रही होगी उन परिवारों पर, जो अपने जिगर के टुकड़ों को सिमटा हुआ ही देख सके. हंसते-खेलते, चलते-फिरते अपने हर रिश्ते को उन्होंने यूं एक झटके में ही खो दिया. आज ऐसा लगता है जैसे लेखनी में जान नहीं, शब्द निशब्द हो गए हैं, आत्मा बोझिल है कुछ कर नहीं सकते.


असमंजस की इस स्थिति से कैसे निपटें. भले ही बदला ले लिया जाए, भले ही सख्त कदम उठा लिए जाएं भारत के सपूतों के दुश्मनों को भले ही मौत की नींद सुला दिया जाए, पर जिन परिवारों में रिक्तता, शून्यता, खामोशियां और वीरानी छा गई हैं. उसकी भरपाई कैसे हो पाएगी. जहां खुशियां, हंसी, आंसू की कहानी बनकर रह गए हैं, वहां खिलखिलाहट वापस कैसे आएगी. नन्हा मासूम बचपन पिता के साये में पलकर बड़ा होना था वो पिता की मजबूत बाहें कहां से आएंगी. मां की उदास आंखों में खुशियों की परछाइयां क्या कभी दिख सकेंगी? होली, दीवाली और ईद पर भर-भर कलाइयों का श्रृंगार क्या कोई पत्नी कर सकेगी. हर साल अपनी राखियां सहेजती बहन क्या भाई से उपहार की आकांक्षा कर पाएगी. जो नहीं होना था वो हो गया. ये दर्द ये उदासियां, ये खामोशियां सदा-सदा के लिए जीवन में आ गईं. क्या इनसे कभी मुक्त हुआ जा सकेगा.


देश के लिए शहीद हुए ये बेटे अपने घरों का आधार थे, उम्मीद है झांककर देखिए इनके घरों में क्या वहां वैभव दिखाई देता है? क्या वहां विलासितापूर्ण वस्तुएं हैं? क्या वहां ऐशोआराम के साधन हैं? नहीं वहां सिर्फ देश पर मर मिटने का जुनून दिखाई देता है. वहां अपने अजीज की छुट्टियों का इंतजार रहता है. वहां खाकी वर्दी और तिरंगे का सम्मान दिखाई देता है. सीमित साधनों में जीवन व्यतीत करते इन वीर सपूतों की जिंदगी की कहानी इनके घरों की दीवारें बयान करती हैं. देश की चहारदीवारी बने ये रक्षक और इनके परिवार किस तरह की, किस स्तर की जिंदगी जीते हैं ये बयान करने की जरूरत नहीं है.


अफसोस है ऐसे वीरों की कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई. कुछ कर गुजरने की उम्र में इन्हें असमय ही काल का निवाला बना दिया गया. इनका बलिदान हर किसी को झकझोर देने के लिए काफी है. बड़ा करीबी रिश्ता है इन देशभक्तों का हमसे, जो हम सोच भी नहीं पाते वो ये कर गुजरते हैं. ऐसे वीरों की शहादत सभी को तड़पने के लिए मजबूर कर देती है इन वीरों की कुर्बानियां इतिहास के सुनहरे पन्नो पर ही नहीं हम सबके दिलों में भी सदा-सदा के लिए अमर हैं, रहेंगी. मेरे देश के वीर अनमोल हैं, ये हमारी अमूल्य निधियां हैं. इन्‍हें हमें अपनी हर दुआओं में शामिल रखना है. मेरे देश के वीरों को मेरा शत-शत नमन जय हिंद, जय जवान.