नई दिल्ली : वनडे और टी-20 के फॉर्मेट में टीम इंडिया में मध्यक्रम के सबसे मजबूत बल्लेबाज युवराज सिंह की पहचान वर्ल्ड क्रिकेट में एक फाइटर के रूप में है. ये पहचान उन्हें उनके आक्रामक और जुझारू खेल के साथ साथ उनके इसी तरह के स्वभाव के कारण मिला है. हम सभी जानते हैं कि विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में युवराज ने कई बार अपनी टीम को मैच जिताए हैं. चाहे वह नेटवेस्ट सीरीज इंग्लैंड में फाइनल मैच हो या फिर 2011 के वर्ल्डकप में सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई पारी हो. वह हर बार विजेता बनकर ही लौटे.


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इसी तरह विजेता वह बनकर तब लौटे, जब 2011 में उन्हें विश्वकप के दौरान ही कैंसर का पता चला. युवराज न सिर्फ उस कैंसर से मजबूती से लड़े बल्कि उन्होंने टीम इंडिया में वापसी भी की.


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12 दिसंबर को जन्मे युवराज सिंह ने अभी कौन बनेगा करोड़पति के सेट पर इस बारे में एक अहम खुलासा किया था. दरअसल, शो के दौरान युवराज सिंह ने अपने कैंसर की बीमारी के पलों के बारे में बात की, जिन्हें बताते हुए उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. युवराज ने बताया कि, किस तरह 2011 के वर्ल्ड कप के दौरान उनकी तबियत काफी ज्यादा बिगड़ गई थी. एक सुबह जब वह सोकर उठे तो बुरी तरह खांसने लगे थे.


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युवराज ने बताया कि, उनकी खांसी में लाल रंग का म्यूकस निकला. वही 14 सेंटीमीटर का ट्यूमर था. उन्होंने कहा कि, जब मैं डॉक्टर से मिला तो उन्होंने मुझे कहा कि मैंने अभी इलाज नहीं करवाया तो मेरी जान भी जा सकती है. मेरी सेहत लगातार खराब होती जा रही थी, खेल भी खराब होता जा रहा खा. इसके बाद करीब 2 महीने तक उनका इलाज चला.


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2007 के टी20 वर्ल्डकप में युवराज ने इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के लगाकर पूरी क्रिकेट की दुनिया को रोमांचित कर दिया था. इसी मैच में उन्होंने 12 गेंदों पर अर्धशतक जमाया था. वर्ल्ड क्रिकेट में आज तक उनका ये रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया है.


पहले मैच में ही कर दिया था इशारा
नैरौबी में 2000 में खेले गए आईसीसी कप में युवराज ने अपना डैब्यु किया था. ये डैब्यु उन्होंने किया था उस समय की नंबर वन टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ. तेंदुलकर उस मैच में बड़ी पारी खेल नहीं पाए थे, लेकिन अपने पहले ही मैच में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन बनाकर बता दिया था कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं. उसके बाद उन्होंने कई मौकों पर अपनी टीम को बड़ी बड़ी जीतें दिलाईं.


टेस्ट मैचों में नहीं रहे ज्यादा कामयाब
युवराज का करियर वनडे क्रिकेट में जितना सफल रहा, टेस्ट क्रिकेट में वह उतने सफल नहीं रहे. युवराज ने अब तक अपने करियर में 40 टेस्ट मैच खेले. इसमें उन्होंने 1900 रन बनाए. इसमें 3 शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं. वहीं वनडे की बात करें तो उन्होंने 304 मैचों में 8701 रन बनाए हैं. इसमें 14 शतक और 52 अर्धशतक शामिल हैं.